मामला क्यों आया सुर्खियों में?

पटियाला में राष्ट्रीय खेल संस्थान के दो हॉल में 12 मार्च 2024 को हंगामा मचा हुआ था। पहलवान विनेश फोगाट ने 50 किलोग्राम और 53 किलोग्राम दोनों श्रेणियों में हिस्सा लेने का विकल्प चुना। इसके बाद वह 50 किलोग्राम का ट्रायल जीतती हैं और 53 किलोग्राम के ट्रायल में शीर्ष चार में रहती हैं। नियमों की अस्पष्टता के कारण विनेश फोगाट को यह नहीं पता था कि वह किस श्रेणी का हिस्सा होंगी। इसलिए उन्होंने दो श्रेणियों में हिस्सा लिया।

चुनाव का परिणाम

महज पांच महीने बाद विनेश फोगाट के इस फैसले ने उन्हें 2024 पेरिस ओलंपिक में रजत या स्वर्ण पदक दिलाने के बेहद करीब पहुंचा दिया। बाद में यह सपना सिर्फ 100 ग्राम वजन ज्यादा होने के कारण टूट गया। फोगाट ने 2016 में रियो में ओलंपिक डेब्यू में 48 किलोग्राम वर्ग में हिस्सा लिया था। उन्होंने 50 किलोग्राम भार वर्ग में एशियन गेम्स का स्वर्ण पदक जीता, लेकिन एक साल बाद ही 2019 वर्ल्ड चैंपियनशिप में 53 किलोग्राम वर्ग में कांस्य पदक जीता। वजन घटाने के लिए संघर्ष करने के कारण उन्होंने कैटेगरी बदली थी।

वजन घटाने का संघर्ष और कैटेगरी बदलने का फैसला

वजन घटाने के संघर्ष करने से बचने के लिए फोगाट ने एशियन गेम्स के बाद 53 किलोग्राम की कैटेगरी को चुना। वह टोक्यो ओलंपिक के बाद एक समय 55 किलोग्राम वर्ग में भी कुश्ती लड़ी। उन्होंने 2022 वर्ल्ड चैंपियनशिप में 53 किलोग्राम में कांस्य पदक जीता, लेकिन रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (WFI) के तत्कालिन प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ आंदोलन के बाद घुटने की चोट के कारण उनकी वापसी में देरी हो गई।

प्रतिद्वंद्विता और असमंजस

इस दौरान अंतिम पंघाल ने 2023 वर्ल्ड चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता। इससे भारत को 53 किलोग्राम वर्ग में पेरिस ओलंपिक का कोटा मिला। भारतीय कुश्ती महासंघ के नियमों के अनुसार कोटा विजेता को ओलंपिक के लिए हरी झंडी मिल गई थी। अब विनेश फोगाट असमंजस में थीं। उस समय भारत में कुश्ती का संचालन एड-हॉक कमेटी कर रही थी। उन्होंने उनसे वादा किया था कि 53 किलोग्राम वर्ग के लिए ट्रायल होगा। लेकिन ऐसा शायद ही हो पाता क्योंकि रेसलिंग फेडरेशन का चुनाव हो गया था। संजय सिंह नए अध्यक्ष चुन लिए गए थे।

हंगामे की तारीख

12 मार्च आ गया। फोगाट का मानना ​​था कि डब्ल्यूएफआई की वापसी से उन्हें 53 किलोग्राम वर्ग में ओलंपिक में हिस्सा लेने का मौका नहीं मिलेगा। उनके पास 50 किलोग्राम वर्ग या 57 किलोग्राम का विकल्प था। उन्होंने 50 किलोग्राम चुना। इस वर्ग में उन्होंने आखिरी बार 2018 में हिस्सा लिया था।

विनेश फोगाट का बयान

इस मामले में विनेश ने कहा था, “मुझे 53 किग्रा कोटा के लिए ट्रायल को लेकर कोई स्पष्टता नहीं थी। आमतौर पर कोटा देश को मिलता है, लेकिन उन्होंने पहले ट्रायल नहीं किए थे। उन्होंने (एड हॉक कमेटी) कहा कि इस बार ऐसा नहीं होगा। मेरे पास ऐसा करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था क्योंकि मुझे ओलंपिक में हिस्सा लेना था।”

वजन घटाने की चुनौती

विनेश फोगाट का वजन आमतौर पर 55-56 किलोग्राम के आसपास होता है। लगातार दो दिनों तक 50 तक वजन रखना काफी मुश्किल है। इसीलिए यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग के अध्यक्ष नेनाद लालोविक ने कहा कि यह एक किलो का मामला नहीं था, बल्कि 100 ग्राम के आंकड़े तक पहुंचने के लिए उन्हें पहले ही बहुत अधिक वजन कम करना पड़ा, जिसकी वजह से समस्या हुई।

समाप्ति

विनेश फोगाट का सफर काफी चुनौतीपूर्ण रहा है। उन्होंने कठोर परिश्रम और अपार सहनशक्ति के साथ अपने आप को विभिन्न श्रेणियों में तैयार किया। लेकिन कभी-कभी छोटे-छोटे निर्णय भी बड़े सपनों पर भारी पड़ सकते हैं। फिर भी, उनके समर्पण और संघर्ष ने भारतीय कुश्ती में एक नई दिशा दी है, जिसे युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा के रूप में देखा जा सकता है।

By IPL Agent

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