पेरिस ओलंपिक में फैंस का दिल टूटा
बुधवार को पेरिस ओलंपिक में भारतीय फैंस के दिल टूट गए, जब प्रसिद्ध भारतीय रेसलर विनेश फोगाट को असामान्य स्थितियों के चलते डिस्क्वालिफाई कर दिया गया। इस कारण वह ओलंपिक गोल्ड मेडल मैच में हिस्सा नहीं ले सकीं। यह खबर भारतीय खेल प्रेमियों को गहरा आघात पहुंचाने वाली थी। किसी ने उम्मीद नहीं की थी कि विनेश, जो जीत की ओर बढ़ रही थीं, अचानक इस तरह से बाहर हो जाएंगी।
विनेश के लिए कठिन समय
विनेश फोगाट के लिए यह समय बेहद कठिन है। वे सारी मेहनत, संग्राम, और तैयारी अचानक अप्रासंगिक लगने लगी थी। परंतु, इस कठिन समय में भी विनेश के हौसले में कमी नहीं आई है। उनके दिल में उम्मीद की लौ अभी भी जली हुई है और इसकी वजह है उनकी मां सरला देवी, जिनसे विनेश को मुश्किल वक्त में हिम्मत मिलती है।
मां सरला देवी का संघर्षपूर्ण जीवन
विनेश फोगाट की मां, सरला देवी का जीवन संघर्षों से भरा रहा है। उन्होंने बेहद कम उम्र में कठिनाइयों को अनुभव किया। छोटे से गांव में जन्मी सरला देवी ने अपने परिवारीक जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया। वह निडर और साहसी महिला हैं जिन्होंने कठिनाइयों का सामना किया और अपनी बेटी को भी एक मजबूत और बहादुर इंसान बनाया।
विनेश और मां का अटूट रिश्ता
विनेश ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बताया कि उनकी मां ने परिवार के लिए अनेक दुख झेले हैं। विनेश ने कहा, ‘मुझे मेरी मां से हिम्मत मिली है। हम दोनों दोस्तों की तरह करीब हैं। हमारा रिश्ता बहुत मजबूत है। हम एक-दूसरे से हर तरह की बातें करते हैं। मैं जानती हूं कि मेरी मां ने मेरे लिए बहुत दुख झेले हैं। अनेकों विषमताओं का सामना करते हुए, मां के संघर्ष में हमें पता ही नहीं चला कि हम कब बड़े हो गए।’
मां का संघर्ष
विनेश फोगाट की मां सरला देवी ने अपने संघर्ष की कहानी अकसर अपनी बेटी से साझा की है। उन्होंने बताया कि विनेश के पिता की जब मृत्यू हुई, तब सरला देवी की उम्र महज 32 साल थी। इतने कम उम्र में अपने पति को खो देना किसी भी महिला के लिए बहुत बड़ा दुख होता है। इसके बाद सरला देवी को कैंसर हो गया और उन्हें कीमोथेरेपी के इलाज के लिए रोहतक जाना पड़ा। यह समय उनके लिए बहुत मुश्किल साबित हुआ, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।
समाज से लड़ाई
समाज कभी-कभी कठिनाइयों को और भी अधिक बढ़ा देता है। सरला देवी को सिर्फ अपने परिवार का ही नहीं, बल्कि समाज की तानेबाजी का भी सामना करना पड़ा। समाज के दबाव और उहापोह के बावजूद, उन्होंने अपनी बेटी को एक मजबूत और स्वतंत्र महिला बनाने का निर्णय लिया। समाज से लड़-लड़कर सरला देवी ने अपनी बेटी विनेश को इस मुकाम तक पहुंचाया।
विनेश की हिम्मत
विनेश फोगाट ने अपनी मां के संघर्षों से सीख ली और वह हर मुश्किल समय में अपनी मां से प्रेरणा लेती हैं। विनेश ने कहा, ‘मां मुझसे कहती हैं कि कभी हार नहीं माननी चाहिए, चाहे परिस्थितियां कैसी भी हों। हमें हमेशा अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहना चाहिए।’
ओलंपिक से मिले सबक
इस पेरिस ओलंपिक से विनेश फोगाट ने कई महत्वपूर्ण सबक सीखे हैं। उन्होंने इस घटना को मात्र एक ठहराव माना है, जहां से उन्हें और भी मजबूती के साथ वापस आना है। अपने संघर्षपूर्ण जीवन और अपनी मां की प्रेरणा से विनेश जानती हैं कि वह किसी भी परिस्थिति का सामना कर सकती हैं।
आगे की योजना
विनेश फोगाट ने स्पष्ट किया है कि वह अपनी निराशा को अपने प्रदर्शन पर हावी नहीं होने देंगी। उन्हें अपनी मां से जो हिम्मत मिली है, वह उनके अन्दर एक नया उत्साह भरती है। इस मोटिवेशन के साथ, वह अगले ओलंपिक की तैयारी में जी-जान से लग जाएंगी। विनेश और उनकी मां का यह संघर्ष और आपसी स्नेह भारतीय खेल जगत के लिए प्रेरणादायक बना रहेगा।
इस कठिन वक्त में विनेश फोगाट ने जिस प्रकार से खुद को संभाला है, वह न सिर्फ उनके चाहने वालों के लिए बल्कि हर उस महिला के लिए प्रेरणा है जो संघर्षों के बावजूद आगे बढ़ने की चाह रखती है।