भारत-श्रीलंका के बीच तीन मैचों की वनडे सीरीज का पहला मैच टाई रहा था। कोलंबो में शुक्रवार (2 अगस्त) को 231 रन के टारगेट के जवाब में भारतीय टीम 230 रन पर आउट हो गई। अब इस मैच को लेकर सवाल उठने लगा है कि टाई मैच के बाद सुपर ओवर क्यों नहीं हुआ? ऐसा नहीं है कि वनडे में टाई मैच के बाद सुपर ओवर कराने का नियम नहीं है।
प्रश्न उठने लगा है: क्या सुपर ओवर का नियम लागू नहीं हुआ?
दिसंबर 2023 में इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) की प्लेइंग कंडिशन में बदलाव हुआ था। इसमें साफ़ तौर पर कहा गया था कि वनडे मैच टाई होने पर विजेता के फैसले के लिए सुपर ओवर होगा। भारत-श्रीलंका के बीच पहला वनडे मैच टाई होने के बाद सुपर ओवर न होने पर कई सवाल उठ रहे हैं। क्या यह मैच ऑफिशियल्स की चूक थी, या फिर कुछ अन्य कारण थे?
प्लेइंग कंडीशन में बदलाव का सवाल उठता है
यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि मौजूदा तीन मैचों की सीरीज के लिए क्या प्लेइंग कंडिशन में संशोधन किया गया था। प्लेइंग कंडिशन में दोनों टीमों की सहमति से बदलाव हो सकता है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या मैच ऑफिशियल्स, जिसमें मैच रेफरी रंजन मदुगले और मैदानी अंपायर जोएल विल्सन और रविंद्र विमलसिरी शामिल हैं, ने वास्तव में रूलबुक की अनदेखी की है?
आईसीसी की नियमावली में क्या है उल्लिखित?
आईसीसी की प्लेइंग कंडीशन 16.3.1.1 के अनुसार, “यदि दोनों पारियों के पूरा होने के बाद टीमों के स्कोर बराबर हैं ,तो सुपर ओवर होगा। यदि सुपर ओवर भी टाई रहता है, तो तब तक बाद के सुपर ओवर खेले जाएंगे जब तक कि कोई विजेता न मिल जाए। यदि विजेता तय करने के लिए सुपर ओवर नहीं होता है तो मैच टाई होगा।” यानी सुपर ओवर के माध्यम से विजेता का निर्धारण किया जाना चाहिए था।
वीडियो रिप्ले और तीसरे अंपायर की भूमिका
यह भी संभव है कि मैच ऑफिशियल्स ने कुछ तकनीकी कारणों के चलते सुपर ओवर को नहीं कराने का फैसला लिया हो। वीडियो रिप्ले और तीसरे अंपायर की भूमिका भी संदेह के घेरे में आ सकती है, क्योंकि कई बार तकनीकी मुद्दों के कारण सही निर्णय लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। ऐसे मामलों में प्रशंसकों की निराशा भी बढ़ जाती है।
क्रिकेट विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
कई क्रिकेट विशेषज्ञों ने भी इस मामले पर अपनी राय व्यक्त की है। कुछ का मानना है कि यह एक बड़ी चूक थी और आईसीसी को इसे गंभीरता से लेना चाहिए। अन्य लोग मानते हैं कि इसे सिर्फ एक तकनीकी या संचार दोष समझा जाना चाहिए।
आगे की राह: सुधार के उपाय
क्रिकेट के नियमों की स्पष्टता और उनकी अनुपालन की निगरानी बढ़ाई जानी चाहिए, ताकि इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके। आईसीसी को सुनिश्चित करना चाहिए कि मैच ऑफिशियल्स और टीमों के बीच संवाद स्पष्ट और प्रभावी हो। इसके अलावा, मैच रेफरी तथा अंपायरों की ट्रेनिंग में सुधार की गुंजाइश भी देखी जानी चाहिए।
फैंस की प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर कई फैंस ने अपनी प्रतिक्रियाओं को व्यक्त किया है। कुछ ने मैच ऑफिशियल्स की आलोचना की है, जबकि कुछ ने इसे एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना माना है। फैंस का मानना है कि अगर सुपर ओवर करवाया गया होता तो मैच का रोमांच और बढ़ जाता और एक स्पष्ट विजेता का पता चल जाता। इस तरह की घटनाएं न केवल खेल के नियमों की धज्जियां उड़ाती हैं बल्कि फैंस की उम्मीदों को भी धक्का देती हैं।
निष्कर्ष
इस घटना से यह स्पष्ट हो जाता है कि क्रिकेट के नियमों और उनकी अनुपालन की महत्वपूर्णता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। आईसीसी और अन्य क्रिकेट बोर्डों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी घटनाएं फिर से न हों। खिलाड़ियों, अंपायरों और प्रशंसकों के हित में यह आवश्यक है कि खेल की निष्पक्षता और रोमांच बनाए रखा जाए।