पारुपल्ली कश्यप और किदांबी श्रीकांत का सपना अधूरा
साल 2012 के लंदन ओलंपिक में पारुपल्ली कश्यप और 2016 के रियो ओलंपिक में किदांबी श्रीकांत ने भारतीय बैडमिंटन के लिए बड़े अवसर साझा किए, पर उनके सपनों को अपूरा रहना पड़ा। इस निराशा ने भारतीय बैडमिंटन प्रशंसकों को बेसब्री से इंतजार करने पर मजबूर किया, लेकिन 2024 पेरिस ओलंपिक में युवा और प्रतिभाशाली बैडमिंटन स्टार लक्ष्य सेन ने भारतीयों का दिल टूटने नहीं दिया। वह ओलंपिक में पुरुष बैडमिंटन के सिंगल्स के सेमीफाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने हैं।
पहला भारतीय खिलाड़ी सेमीफाइनल में
लक्ष्य सेन ने यह मुकाम हासिल करके इतिहास रच दिया। ओलंपिक के क्वार्टर फाइनल में पहुंचने वाले वह तीसरे भारतीय पुरुष खिलाड़ी थे। उनका मुकाबला चीनी ताइपे के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध खिलाड़ी चेन टेन से था। लक्ष्य ने वर्ल्ड चैंपियनशिप के ब्रॉन्ज मेडलिस्ट खिलाड़ी को 19-21, 21-15, 21-12 से हराकर सेमीफाइनल में अपनी जगह पक्की की।
मुकाबला आसान नहीं था
लक्ष्य सेन के लिए क्वार्टर फाइनल मुकाबला आसान नहीं था। पहले ही गेम से दोनों के बीच एक-एक पॉइंट के लिए लंबी रैलियां हो रही थीं। तीन गेम के इस मुकाबले में कोई भी खिलाड़ी लंबी लीड हासिल करने में सफल नहीं हो पा रहा था। हालांकि चेन ने एक समय पर 11-15 की लीड हासिल कर ली थी। लेकिन लक्ष्य सेन ने अपनी मेधा और सामर्थ्य से स्कोर को 16-15 पर लाकर खेल को रोमांचित कर दिया। चेन ने वापसी की और पहला गेम जीतकर 1-0 की बढ़त हासिल की। लेकिन लक्ष्य को जीत के लिए बाकी के दोनों गेम जीतने थे।
दूसरे गेम में जोरदार अटैकिंग
दूसरे गेम में लक्ष्य सेन ने अपनी अटैकिंग खेल जारी रखी और प्रमुख डिफेंस भी दिखाया। ब्रेक तक उन्होंने एक अंक की मामूली लीड ले ली थी और बाद में इसे बढ़ाते हुए गेम को 21-15 से जीता।
तीसरे गेम में शक्ति और धैर्य की परीक्षा
तीसरे गेम में न केवल खिलाड़ियों की स्किल, बल्कि उनके स्टैमिना की भी परीक्षा हो रही थी। यही वह पल था जब लक्ष्य सेन ने अपने धैर्य और शक्ति का परिचय दिया। लंबी रैलियों और कोर्ट पर पूरे समय डिफेंड करने के बावजूद, लक्ष्य के अंदर आखिर गेम के लिए भी अपार ऊर्जा थी।
कठिन राह और जीत का सपना
ओलंपिक के बैडमिंटन ड्रॉ का जब ऐलान हुआ तब लक्ष्य की मेडल की राह को काफी कठिन माना जा रहा था। उनके ग्रुप में दिग्गज खिलाड़ी जोनाथन क्रिस्टी थे। लक्ष्य की शुरुआत भी सही मायनों में शानदार नहीं रही थी। उन्होंने पहला मैच जीता था, लेकिन उसे मान्य नहीं किया गया। इसके बाद उन्होंने बचेमी बाकी दोनों मैच जीते जिनमें जोनाथन क्रिस्टी के खिलाफ रोमांचक मैच भी शामिल था।
प्रत्याशा और नई उम्मीद
प्री क्वार्टर फाइनल में लक्ष्य का सामना एचएस प्रणॉय से हुआ। प्रणॉय से मुकाबला भी बेहद चुनौतीपूर्ण था, पर लक्ष्य ने इसे भी अपने नाम किया। इस जीत se पता चलता है कि लक्ष्य सेन ने न केवल अपने खेल में सुधार किया है, बल्कि मानसिक रूप से भी खुद को और मजबूत बनाया है।
अंतिम शॉट और उम्मीदें
लक्ष्य सेन की यह शानदार प्रदर्शन भारतीय बैडमिंटन के लिए एक नई उम्मीद की किरण है। उनका सेमीफाइनल में पहुंचना सिर्फ उनके लिए नहीं, बल्कि हमेशा से बैडमिंटन के क्षेत्र में कार्यरत सभी खिलाड़ियों और प्रशंसकों के लिए भी गर्व की बात है। अब सबकी नजरें उनके अगले मैच पर टिकी हैं, जहां वह फाइनल शॉट के लिए अपनी पूरी ताकत और मेधा लगाएंगे।
इस उपलब्धि से यह साफ़ होता है कि भारतीय बैडमिंटन के भविष्य में नई ऊंचाईयों को छूने की क्षमता है और लक्ष्य सेन जैसी युवा प्रतिभाएं इस खेल को नई दिशा दे सकती हैं। पेरिस ओलंपिक 2024 के इस शानदार सफर के बाद, भारतीय बैडमिंटन दुनिया को यह संदेश देने में कामयाब रहा कि हम किसी से कम नहीं।