पेरिस ओलंपिक 2024 में भारतीय हॉकी टीम ने शुक्रवार (2 अगस्त) को ऑस्ट्रेलिया को हराकर इतिहास रचा। ओलंपिक में एस्ट्रोटर्फ पर भारत ने ऑस्ट्रेलिया को पहली बार हराया। ओलंपिक में 1976 से एस्ट्रोटर्फ पर हॉकी खेली जा रही है। इसके बाद पहली बार भारत ने ऑस्ट्रेलिया को हराया है। इस जीत के साथ 52 साल का सूखा समाप्त हो गया। भारत ने ऑस्ट्रेलिया को ओलंपिक में इससे पहले 1972 में हराया था।
क्वार्टर फाइनल की दिशा में एक बड़ी जीत
पूल बी से भारतीय टीम पहले ही क्वार्टर फाइनल में जगह बना चुकी है। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जीत से उसकी रैंकिंग पर फर्क पड़ेगा। इससे पहले उसे गत ओलंपिक चैंपियन बेल्जियम से हार का सामना करना पड़ा था। ऑस्ट्रेलिया के अलावा उसने न्यूजीलैंड और आयरलैंड को हराया। अर्जेंटीना से ड्रॉ खेला था। पूल बी से भारत के अलावा बेल्जियम, ऑस्ट्रेलिया और अर्जेंटीना ने क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई है।
पूल बी की स्थिति
पूल बी में बेल्जियम पहले, भारत दूसरे, ऑस्ट्रेलिया तीसरे और अर्जेंटीना चौथे स्थान पर हैं। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत ने अपने आखिरी पूल मैच में 3-2 से जीत दर्ज की। भारतीय टीम ने दूसरे क्वार्टर में 2-0 की बढ़त बनाकर शानदार शुरुआत की। अभिषेक ने 12वें मिनट में ओपन प्ले के जरिए दो मैचों में अपना दूसरा गोल किया, जबकि कप्तान हरमनप्रीत सिंह ने 13वें मिनट में पेनल्टी कॉर्नर को गोल में बदला। पहले क्वार्टर में ऑस्ट्रेलियाई टीम ने भारतीय पोस्ट पर कुछ मौके बनाए, लेकिन गोलकीपर पीआर श्रीजेश ने गोल नहीं होने दिया।
मैच का उत्कर्ष बिंदु
ऑस्ट्रेलिया ने 25वें मिनट में थॉमस क्रेग के गोल से हाफटाइम तक बढ़त को 1-2 कर दिया। तीसरे क्वार्टर में, हरमनप्रीत ने एक सफल वीडियो रेफरल के बाद पेनल्टी स्ट्रोक को गोल में बदलकर भारत की बढ़त को 3-1 कर दिया। हरमनप्रीत की ड्रैग-फ्लिक फ्लिन ओगिल्वी के पैर पर लगी थी, लेकिन रेफरी इसे देख पाने में विफल रहे, जिसके कारण रिव्यू लिया गया। ऑस्ट्रेलिया ने अंतिम क्वार्टर में कड़ी टक्कर दी। ब्लेक गोवर्स ने पेनल्टी स्ट्रोक से स्कोर 3-2 कर दिया, लेकिन भारत ने ग्रुप स्टेज में अपने अभियान को शानदार जीत के साथ खत्म किया।
गोलकीपर पीआर श्रीजेश की बेमिसाल भूमिका
इस मुकाबले में भारतीय गोलकीपर पीआर श्रीजेश का प्रदर्शन सराहनीय रहा। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के हर अटैक को शानदार तरीके से नाकाम किया। श्रीजेश की बेहतरीन गोलकीपिंग ने भारतीय टीम को मजबूती प्रदान की और यह सुनिश्चित किया कि ऑस्ट्रेलिया के कोई भी प्रयास गोल में तब्दील न हो सके। उनके तेजी और चपलता ने भारतीय रक्षा को और भी सुदृढ़ बना दिया।
हरमनप्रीत सिंह का नेतृत्व
कप्तान हरमनप्रीत सिंह का नेतृत्व और ड्राइविंग क्षमता ने टीम का मनोबल बढ़ाया। हरमनप्रीत ने महत्वपूर्ण समय में गोल दागकर टीम को आवश्यक बढ़त दिलाई। उनकी रणनीति और निर्णयों ने टीम को सही दिशा में आगे बढ़ाया। उनका आत्मविश्वास और टीम के प्रति समर्पण ने भारतीय टीम को इस ऐतिहासिक जीत के करीब पहुँचाया।
भावी चुनौतियाँ और संभावनाएँ
इस जीत के बाद भारतीय टीम की ओर से विशेष उम्मीदें बढ़ गई हैं। क्वार्टर फाइनल में भारतीय टीम को और भी कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, इस ऐतिहासिक जीत ने भारतीय टीम का मनोबल ऊंचा कर दिया है और आने वाले मैचों में टीम अपनी प्रदर्शन को और भी बेहतर करने के लिए प्रतिबद्ध है।
प्रशंसक और विशेषज्ञों की प्रतिक्रियाएँ
इस जीत के बाद भारतीय हॉकी के प्रशंसकों और विशेषज्ञों की प्रतिक्रियाएँ उत्साहवर्धक रही हैं। सोशल मीडिया पर टीम की जमकर तारीफ हो रही है। प्रशंसकों ने इसे भारतीय हॉकी के लिए एक नया युग बताते हुए अपनी समर्थन और खुशी जाहिर की है। विशेषज्ञों ने भारतीय टीम की इस जीत को भविष्य की संभावनाओं के लिए महत्वपूर्ण माना है और टीम की तैयारियों की प्रशंसा की है।
भारतीय हॉकी टीम की यह जीत न केवल भारतीय खिलाड़ियों के लिए बल्कि भारतीय हॉकी प्रेमियों के लिए गर्व का क्षण है। यह जीत भारतीय हॉकी के उज्जवल भविष्य की ओर संकेत करती है और यह हमारे खिलाड़ियों के मेहनत और दृढ़ संकल्प का परिणाम है। आगामी मैचों में भारतीय टीम से और भी बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही है।