प्रारंभिक उत्साह और उम्मीदें
भारत का 30 खिलाड़ियों का एथलेटिक्स दल पेरिस जाने वाला था। इस दल में देश के अत्यधिक प्रतिभाशाली और मेहनती खिलाड़ियों का चयन किया गया था। खेल प्रेमियों और परिवारजनों में इस दल को लेकर बड़ी अपेक्षाएं थीं। इसी दौरान, शॉटपुट एथलीट आभा काठुआ का नाम भी इसी दल में शामिल था।
आभा ने मई में हुए फेडरेशन कप में 18.41 मीटर के थ्रो के साथ नया नेशनल रिकॉर्ड कायम किया था। इस शानदार प्रदर्शन के आधार पर, आभा ने पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालिफाई किया और ‘रोड टू पेरिस’ में उनका रैंक 21वां था।
अचानक बदलाव और निराशा
हालांकि, पेरिस ओलंपिक के लिए जा रहे एथलेटिक्स दल में आभा काठुआ का नाम अंतिम समय में हटा दिया गया। यह निर्णय भारतीय ओलंपिक संघ या एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा लिया गया, लेकिन इसके पीछे की सटीक वजह का खुलासा नहीं किया गया।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस बड़े निर्णय के पीछे आभा का टेस्टोस्टेरोन लेवल अधिक होना प्रमुख कारण बताया जा रहा है। लेकिन, इस मामले में किसी आधिकारिक घोषणा का अभी भी अभाव है।
डीएसडी रेगुलेशन का उल्लंघन
रिपोर्ट्स की माने तो विश्व एथलेटिक्स ने आभा को ‘डिफेरेंस ऑफ सेक्स डेवलेपमेंट रेगुलेशन’ (डीएसडी) का उल्लंघन करने के कारण टूर्नामेंट से बाहर कर दिया है। पिछले साल बैंकॉक में हुई एशिया चैंपियनशिप के दौरान आभा के सैंपल लिए गए थे। कहा जा रहा है कि उन्हीं सैंपल्स में उनके टेस्टोस्टेरोन स्तर बढ़े हुए पाए गए थे, जिसका परिणाम यह निर्णायक फैसला है।
टेस्टोस्टेरोन स्तर के नियम
एथलेटिक्स के विश्व संगठन, विश्व एथलेटिक्स के नियमों के अनुसार, हर महिला खिलाड़ी को अपने शरीर में टेस्टोस्टेरोन स्तर को एक तय मात्रा में रखना अनिवार्य है। नियमों के मुताबिक यह मात्रा 10 nmol/L होनी चाहिए। अगर किसी खिलाड़ी का टेस्टोस्टेरोन स्तर इस मात्रा से अधिक होता है, तो उसे टूर्नामेंट में हिस्सा लेने के योग्य नहीं समझा जाता है।
अधिकारिक जानकारी के मुताबिक, आभा का नाम डोपिंग के कारण नहीं बल्कि डीएसडी रेगुलेशन के कारण हटाया गया है। यह नियम सभी महिला एथलीट्स के लिए समान रूप से लागू होते हैं और इसका मकसद खेल में निष्पक्षता सुनिश्चित करना है।
खिलाड़ी और देश पर प्रभाव
आभा काठुआ को दल से बाहर करने का निर्णय उनके और उनके समर्थकों के लिए बहुत ही बड़ी निराशा था। आभा ने अपने टॉप फॉर्म से ओलंपिक के बड़े मंच के लिए क्वालिफाई किया था, लेकिन यह निर्णय उनकी मेहनत पर पानी फेर बैठा। यह निर्णय भारत के खेल समुदाय में भी एक बड़ा धक्का था।
भविष्य की चुनौतियाँ और उम्मीदें
अब सवाल यह उठता है कि आभा और उनके जैसे अन्य खिलाड़ी आगामी प्रतियोगिताओं में किस प्रकार खुद को तालमेल बिठा कर सफल हो सकेंगे। यह समय उनके लिए और उनके सभी समर्थकों के लिए चिंतन और रणनीति का है।
आभा को इस समय धैर्य और संयम की जरूरत होगी, साथ ही उन्हें अपने आगे बढ़ने के लिए नए अवसरों की तलाश करनी होगी। उनके समर्थकों और खेल प्रेमियों का भी इस समय यह कर्तव्य होगा कि वे उन्हें प्रोत्साहित करें और उनके साथ खड़े रहें ताकि आभा अपनी अपनी भविष्य की प्रतियोगिताओं के लिए खुद को पुनः तैयार कर सकें।
समाप्ति
इस निर्णय के बाद भी, भारतीय एथलेटिक्स दल में बाकी बचे 29 खिलाड़ियों में जोश और उम्मीदें बरकरार हैं। उनका लक्ष्य पेरिस ओलंपिक में देश का मान बढ़ाने का है, और यह हर किसी का फर्ज है कि हम सब मिलकर उन्हें उन ऊचाइयों तक पहुँचने का साहस और संबल प्रदान करें।
आशा ही नहीं, बल्कि हम विश्वास करते हैं कि भारतीय एथलेटिक्स दल अपनी मेहनत, जोश और जुनून के दम पर अपने देश का नाम रोशन करेंगे, चाहे वे पेरिस जाएं या न जाएं।