एक नई तारीख: 1 अगस्त
एक अगस्त 2021 को भारतीय बैडमिंटन की स्टार खिलाड़ी पीवी सिंधू ने टोक्यो ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीता था। यह जीत उनके लिए खास महत्व की थी क्योंकि मुकाबला चीन की हे बिंग झाओ के खिलाफ था। तीन साल बाद, एक अगस्त 2024 को, पेरिस ओलंपिक में वही तारीख, वही खिलाड़ी लेकिन नतीजा अलग। इस बार चीनी खिलाड़ी हे बिंग झाओ भारी पड़ीं और उन्होंने सिंधू को पेरिस ओलंपिक से बाहर कर दिया।
ग्रुप राउंड में अजेय रहने के बाद
पीवी सिंधू पेरिस ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन कर रही थीं। उन्होंने ग्रुप राउंड के तीनों मैच जीतकर प्री क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई थी। वहीं, उनका सामना बिंग झाओ से होना था जिनका भी ग्रुप राउंड का रिकॉर्ड पूरी तरह अजेय रहा था।
कड़ा मुकाबला, पर हार
प्री क्वार्टर फाइनल मैच की शुरुआत बेहद कड़ी हुई। पहले गेम में दोनों खिलाड़ियों के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिला। सिंधू ने हर पॉइंट के लिए जूझा, लेकिन बिंग झाओ ने भी दमदार खेल दिखाया। पहले गेम में सिंधू ने 19-21 से हार झेली और दूसरे गेम में वह 14-21 से हार गईं। महज 56 मिनट में, तीन साल की मेहनत और तैयारी के बावजूद, सिंधू की ओलंपिक यात्रा समाप्त हो गई।
ओलंपिक में मेडल की हैट्रिक का सपना
पीवी सिंधू भारत के लिए ओलंपिक मेडल के प्रबल दावेदारों में से एक थीं। उन्होंने 2016 रियो ओलंपिक में सिल्वर मेडल और 2021 टोक्यो ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीता था। पेरिस ओलंपिक में उनका लक्ष्य मेडल की हैट्रिक लगाना था। यदि वह सफल होतीं तो वह भारत की पहली ऐसी खिलाड़ी बन जातीं जिन्होंने ओलंपिक में तीन मेडल जीते हैं।
क्लब वाली खिलाड़ी
फ़िलहाल, उन खिलाड़ियों की सूची में, जिन्होंने दो ओलंपिक मेडल जीते हैं, पीवी सिंधू के अलावा रेसलर सुशील कुमार और निशानेबाज मनु भाकर शामिल हैं। सिंधू को भी इस क्लब में रहने का गौरव प्राप्त हुआ है लेकिन तीन मेडल का सपना अधूरा रह गया।
खाली हाथ लौटने का नया अनुभव
यह पहली बार होगा जब पीवी सिंधू ओलंपिक से खाली हाथ लौटेंगी। सिंधू ने पिछली ओलंपिक प्रतियोगिताओं में लगातार मेडल जीते थे, लेकिन इस बार उनकी स्थिति थोड़ी अलग रही। इसके अलावा, यह भी पहली बार है जब सिंधू वर्ल्ड चैंपियनशिप या ओलंपिक में किसी चीनी प्रतिद्वंदी से हारी हैं। यह हार सिंधू के लिए निश्चित रूप से एक कठोर सच थी, जिसे स्वीकार करना मुश्किल रहा होगा।
आगे का सफर
सिंधू के इस हार के बाद, उनका ध्यान निश्चित ही भविष्य की प्रतियोगिताओं पर होगा। उनके द्वारा उठाए गए हर कदम को अब और भी सघनता से देखा जाएगा। वे ओलंपिक से बाहर हो गई हैं, लेकिन उम्मीद है कि वे आने वाली प्रतियोगिताओं में और बेहतर प्रदर्शन करेंगी और देश को गौरवान्वित करेंगी।
निष्कर्ष
पीवी सिंधू के लिए पेरिस ओलंपिक की यह हार निश्चित रूप से एक बड़ा झटका है। तीन साल की मेहनत एक दिन में समाप्त हो गई लेकिन यह हार उन्हें और भी मजबूत बनाएगी। सिंधू ने अपने प्रदर्शन और क्रिकेट मैदान पर दिखाए गए धीरज से सबको प्रेरित किया है। भारतीय खेल प्रेमियों की नजरें अब आगामी प्रतियोगिताओं में उनके प्रदर्शन पर टिकी रहेंगी, और उम्मीद है कि वह पहले से भी बेहतर खेल दिखाएंगी।
इस हार के बावजूद, पीवी सिंधू भारतीय खेल जगत में एक अहम हिस्सा बनी रहेंगी और उनकी संघर्ष भरी कहानी युवा खिलाड़यों को प्रेरित करेगी। भारतीय खेल प्रेमी अब उस दिन का इंतजार करेंगे जब सिंधू फिर से अपनी पूरी चमक के साथ खेल के मैदान में उतरेगी।