परिचय
न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम को एक और झटका लगा है। पिछली बार की तरह इस बार भी दो और मुख्य खिलाड़ियों ने अपने सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट को छोड़ने का निर्णय लिया है। ट्रेंट बोल्ट, केन विलियमसन, एडम मिल्ने और लॉकी फर्ग्युसन के बाद अब ड्वोन कॉनवे और फिन एलेन ने भी न्यूजीलैंड क्रिकेट (NZC) के सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट से तौबा कर दिया है। इन खिलाड़ियों ने फ्रेंचाइजी क्रिकेट को तरजीह देने का निर्णय लिया है।
कॉन्ट्रैक्ट की शर्तें
न्यूजीलैंड क्रिकेट के केंद्रीय अनुबंध प्रणाली के तहत, खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में चयन के लिए उपलब्ध रहना होता है। इसके अतिरिक्त, घरेलू सुपर स्मैश टूर्नामेंट में भी उन्हें भाग लेना आवश्यक है। यही कारण है कि इन खिलाड़ियों ने अब अपने करियर को नई दिशा देने का निर्णय लिया है।
ड्वोन कॉनवे का निर्णय
ड्वोन कॉनवे ने ट्रेंट बोल्ट की तरह ही एक अनौपचारिक अनुबंध पर हस्ताक्षर किया है। वह जनवरी में श्रीलंका के व्हाइट बॉल मैचों को छोड़कर बाकी सभी अंतरराष्ट्रीय मैचों के लिए उपलब्ध रहेंगे, क्योंकि वे उस समय SA20 लीग में व्यस्त रहेंगे। कॉनवे जोबर्ग सुपर किंग्स के लिए खेलने का विचार कर रहे हैं। कॉनवे स्वयं साउथ अफ्रीका के रहने वाले हैं और 2017 में न्यूज़ीलैंड में आकर बस गए थे।
फिन एलेन की स्थिति
25 साल के फिन एलेन, जो व्हाइट बॉल क्रिकेट के एक बेहतरीन ओपनर हैं, भी फ्रेंचाइजी क्रिकेट में अपना करियर बनाते नजर आएंगे। उन्हें न्यूजीलैंड क्रिकेट (NZC) ने किसी भी अनौपचारिक अनुबंध की पेशकश नहीं की है, पर वे भविष्य में न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम में चयन के लिए पात्र होंगे। कॉनवे और एलेन दोनों ही खिलाड़ियों को पहले इस साल की अनुबंध सूची में शामिल किया गया था और अब उनसे रिप्लेस किए जाने की संभावना है।
कॉनवे का कार्यक्रम
ड्वोन कॉनवे को अगले महीने अफगानिस्तान और श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट सीरीज के लिए टीम में शामिल किया गया है। वह न्यूजीलैंड के सभी 9 आगामी टेस्ट मैचों के लिए उपलब्ध रहेंगे। उन्होंने फरवरी में होने वाली चैंपियंस ट्रॉफी से पहले वॉर्म अप मैचों में भी भाग लेने की प्रतिबद्धता जताई है। इसमें पाकिस्तान में त्रिकोणीय एकदिवसीय सीरीज भी शामिल है।
फ्रेंचाइजी क्रिकेट का बढ़ता प्रभाव
फ्रेंचाइजी क्रिकेट के बढ़ते आकर्षण ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के प्रति खिलाड़ियों के रुझान को बदल दिया है। कई खिलाड़ी अपनी फ्रेंचाइजी की प्राथमिकताओं को तरजीह दे रहे हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट टीमों की संरचना में बदलाव हो रहा है। खिलाड़ियों को उनकी स्वतंत्रता और बेहतर आर्थिक स्थिति के कारण फ्रेंचाइजी का हिस्सा बनने में अधिक रूचि हो रही है।
न्यूजीलैंड क्रिकेट पर प्रभाव
इस प्रकार के निर्णयों का न्यूजीलैंड क्रिकेट पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। टीम की स्थिरता और प्रदर्शन पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा, यह देखने वाली बात होगी। टीम प्रबंधन को इन खिलाड़ीयों के रिक्त स्थान को भरने के लिए नए खिलाड़ियों की खोज करनी होगी और उन्हें तैयार करना होगा।
भविष्य की संभावना
हालांकि, यह भी एक मौका हो सकता है कि युवा और नए खिलाड़ियों को अपने मानदंड स्थापित करने का अवसर मिल सके। टीम के लिए यह एक प्रयोगात्मक समय हो सकता है, जब वे टीम की नवीनीकरण प्रक्रिया के हिस्से के रूप में नए खिलाड़ियों को मौका देंगे।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, ड्वोन कॉनवे और फिन एलेन का न्यूजीलैंड क्रिकेट सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट छोड़ने का निर्णय फ्रेंचाइजी क्रिकेट के बढ़ते प्रभाव का स्पष्ट संकेत है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में इस निर्णय का न्यूजीलैंड क्रिकेट पर क्या प्रभाव पड़ेगा और टीम इस चुनौती का सामना कैसे करेगी। खिलाड़ियों के लिए यह व्यक्तिगत करियर की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन राष्ट्रीय टीम के लिए यह एक नई चुनौती प्रस्तुत करता है।