विनेश फोगाट की पेरिस ओलंपिक निराशा
भारतीय रेसलर विनेश फोगाट के साथ पेरिस ओलंपिक में जो कुछ हुआ उसने पूरे देश का दिल तोड़ दिया। विनेश फोगाट को उनके गोल्ड मेडल मैच से पहले डिस्क्वालिफाई कर दिया गया था। इससे भारत के हाथ आया मेडल भी उनसे छिन गया। इस पूरे मामले के बाद विनेश फोगाट ने संन्यास का ऐलान कर दिया।
विनेश फोगाट का भावुक इंस्टाग्राम पोस्ट
किन्तु, घर वापसी से पहले विनेश फोगाट ने अपने फैंस को अपनी वापसी की बड़ी उम्मीद दे दी है। उन्होंने शुक्रवार को इंस्टाग्राम पर एक लंबा पोस्ट लिखकर अपने दिल की बात कही। उन्होंने बताया कि पेरिस ओलंपिक से पहले वह खुद को 2032 तक खेलते हुए देख रही थीं। उनके अंदर लड़ने की हिम्मत और रेसलिंग खत्म नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि वह नहीं जानती कि वह भविष्य में क्या करेंगी, लेकिन वह सच के लिए लड़ना नहीं छोड़ेंगी।
छह अगस्त की रात का दर्द
विनेश फोगाट ने छह अगस्त की रात के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा, ‘बहुत कुछ कहने को है, लेकिन सब कुछ बयां करने के लिए शब्द कम पड़ जाएंगे। मैं इस बारे में तब ज्यादा बात करूंगी जब मुझे लगेगा कि सही समय है। मैं बस यही कहना चाहती हूं कि छह अगस्त की रात और सात अगस्त की सुबह तक हमने अपनी कोशिशें बंद नहीं की थीं। हमने हार नहीं मानी, लेकिन समय खत्म हो गया। मेरी किस्मत भी ऐसी ही थी। मेरी टीम, मेरे साथी भारतीयों और मेरे परिवार को ऐसा लगता है कि जिस एक चीज के लिए हम काम कर रहे थे और जिसे हासिल करने की हमने तैयारी की, प्लानिंग की वह अधूरा है। कुछ न कुछ कमी हमेशा रह सकती है और चीजें फिर कभी पहले जैसी नहीं हो सकती।’
विनेश फोगाट का संघर्षमय सफर
विनेश फोगाट ने अपने सफर की शुरुआत के बारे में बताया। अपनी मां के संघर्षों और पिता के सपनों के बारे में भी लिखा। उन्होंने कहा, ‘मैं एक छोटे से गांव की लड़की थी, मुझे नहीं पता था कि ओलंपिक क्या होता है, उसकी रिंग्स का क्या मतलब होता है। जब मैं छोटी थी तो मैं सपने देखती थी कि मेरे लंबे बाल हो, अपने हाथ में मोबाइल फोन हो और वे सभी चीजें करूं जिन्हें आमतौर पर एक बच्ची करना चाहती है।’
पिता के सपनों को पूरा करने का संकल्प
‘मेरे पिता एक साधारण बस ड्राइवर थे। वह मुझसे कहा करते थे कि एक दिन जब वह नीचे सड़क पर गाड़ी चला रहे होंगे, तो वह अपनी बेटी को विमान में ऊंची उड़ान भरते देखेंगे। उस समय मुझे लगा कि केवल मैं ही अपने पिता के सपनों को सच कर सकती हूं। मैं तीन बेटियों में सबसे छोटी थी। यह नहीं कहूंगी कि मैं ही उनकी सबसे लाड़ली थी। जब वह मुझे ओलंपिक के बारे में बताते थे तो मैं इस बेतुके विचार पर हंसती थी। मेरे लिए इसका कोई खास मतलब नहीं था।’
संन्यास का विचार और आगे की राह
विनेश फोगाट ने अपने संन्यास के विचार को भी साझा किया। उन्होंने लिखा, ‘इस भाग्यवादी घटना ने मुझे बहुत चोट पहुंचाई है, लेकिन मेरे अंदर की लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। मैं अब भी अपने देश के लिए कुछ करना चाहती हूं। मैं अभी यह तय नहीं कर पाई हूं कि मेरा अगला कदम क्या होगा, लेकिन मैं यह सुनिश्चित करना चाहती हूं कि मैं अपने फैंस, अपने परिवार और अपने देश के लिए सीमाओं में बंधकर नहीं रहूंगी।’
इस अभूतपूर्व संघर्ष और अपार दर्द में भी विनेश फोगाट ने अपने फैंस को एक नई उम्मीद दी है। यह दिखाता है कि जिन्दगी में अगर हम एक बार गिर जाएं, तो इसका मतलब यह नहीं कि हम फिर से उठ नहीं सकते। विनेश फोगाट हमारे लिए एक प्रेरणा हैं और उनका संघर्ष हमें यह सीख देता है कि सत्य और न्याय की लड़ाई कभी नहीं रुकनी चाहिए। आशा है कि वह जल्द ही मजबूती के साथ वापसी करेंगी और अपने सपनों को फिर से संजोएंगी।