पेरिस ओलंपिक में ऐतिहासिक प्रदर्शन
भारतीय रेसलर अमन सेहरावत ने शनिवार को पेरिस ओलंपिक में देश को छठा मेडल दिलाया। इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के साथ ही उन्होंने भारतीय रेसलिंग का नाम एक बार फिर ऊंचा कर दिया। ओलंपिक के 14वें दिन, जब पूरी दुनिया की निगाहें पेरिस पर टिकी थीं, अमन ने रेसलिंग में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर देशवासियों का दिल जीत लिया।
सुशील कुमार का प्रेरणादायक मार्गदर्शन
अमन के इस मेडल जीतने के पीछे दो बार के ओलंपिक मेडलिस्ट सुशील कुमार का महत्वपूर्ण योगदान है। सुशील द्वारा अमन को दिए गए गुरुमंत्र ने उनकी मुश्किलें आसान कर दीं। अमन भारतीय दिग्गज रेसलर सुशील कुमार को अपना गुरु मानते हैं। दोनों ने छत्रसाल अखाड़े से ही अपने रेसलिंग सफर की शुरुआत की थी। सुशील के ओलंपिक मेडल को देखकर ही अमन के दिल में भी यह ख्वाब पलना शुरू हुआ कि एक दिन उन्हें भी ओलंपिक के पोडियम पर पहुंचना है। बचपन से ही सुशील अमन के हीरो थे और आज भी वह उन्हें मार्गदर्शन देते हैं।
सुशील कुमार की कठिन परिस्थितियाँ
वर्तमान में सुशील कुमार मर्डर केस में जेल में हैं, इसके बावजूद वे युवा रेसलर्स के लिए महत्वपूर्ण मेंटॉर की भूमिका निभा रहे हैं। उनके शिष्यों में अमन सेहरावत का भी नाम शामिल है। यहां तक कि पेरिस ओलंपिक जाने से पहले भी अमन ने सुशील कुमार से बात की थी। शुक्रवार को हुए दो मैचों में तकनीकी श्रेष्ठता के बावजूद सेमीफाइनल में जापान के रई हगूची के खिलाफ मिली हार के बाद भी अमन के पास ब्रॉन्ज मेडल जीतने का मौका था।
सेमीफाइनल की हार और सुशील कुमार का संदेश
इस अहम मुकाबले में उतरने से पहले अमन ने सुशील कुमार से सलाह-मशविरा किया। एक मीडिया हाउस से बातचीत करते हुए अमन ने बताया, ‘मेरी उनसे कल रात (सेमीफाइनल मैच वाली रात) बात हुई थी। उन्होंने मुझसे कहा कि अच्छी कुश्ती कर रहे हो, ज्यादा दिमाग पर मत लो। ब्रॉन्ज मेडल मैच पर ध्यान दो।’ इस बातचीत ने अमन को आत्मविश्वास दिया और वे मुकाबले में डटकर खेले।
गुरुमंत्र जिसने बदल दी दिशा
अमन ने इसे ही वह अहम गुरुमंत्र बताया जिसकी मदद से उन्हें मेडल मिला। उन्होंने कहा, ‘पहलवान जी ने कहा कि तूने सेमीफाइनल में अटैक करने के लिए ज्यादा जगह खोल दी थी। ब्रॉन्ज मेडल में ऐसा मत करना। शुरू से ही तगड़ा खेलना। पहलवान जी ने सलाह दी कि पुरानी हार-जीत सब भूल जाओ।’ यह सलाह अमन के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित हुई और उन्होंने अपने गेम को बेहतर बना लिया।
भारतीय रेसलिंग के उज्ज्वल भविष्य को उम्मीदें
भारत के सबसे युवा ओलंपिक मेडलिस्ट अमन सेहरावत ने बताया कि रेसलिंग में असली चुनौतियाँ मैट के बाहर होती हैं। उन्होंने विनेश फोगाट के उदाहरण का जिक्र करते हुए कहा, ‘तीन मैच खेलने के बाद मेरा वजन तय मानक से 4.5 किलोग्राम ज्यादा हो गया था। इसके बाद पूरी रात लगकर मैंने अपना वजन कम किया। वजन तोड़ना मुश्किल है। इतनी ताकत रेसलिंग करने में नहीं लगती जितनी वजन घटाने में लगती है।’
अमन की मेहनत और प्रतिबद्धता के पीछे का प्रयास
अमन सेहरावत की यह सफलता उनकी कड़ी मेहनत और प्रतिबद्धता का नतीजा है। उनकी सफलता सिर्फ उनके लिए नहीं बल्कि पूरे देश के लिए गर्व की बात है। देशवासियों के लिए यह एक महत्वपूर्ण संदेश है कि मेहनत और सही मार्गदर्शन से हर मुश्किल को पार किया जा सकता है।
अमन सेहरावत की यह उपलब्धि नए युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी और उन्हें ओलंपिक में अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए प्रेरित करेगी। सुशील कुमार के मार्गदर्शन और अमन की कठोर मेहनत ने भारतीय रेसलिंग को एक नया आयाम दिया है।
अंतिम सोच
अमन सेहरावत और सुशील कुमार का यह रिश्ता दिखाता है कि गुरु-शिष्य की परंपरा आज भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। सही मार्गदर्शन और संकल्प शक्ति से किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है। अमन की यह सफलता आने वाले वर्षों में और भी अधिक भारतीय रेसलर्स को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमकने का मौका देगी।
पेरिस ओलंपिक में अमन सेहरावत की इस चमचमाती सफलता ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि भारत में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, बस जरूरत है सही मार्गदर्शन और समर्थन की।