प्रस्तावना

भारतीय क्रिकेट टीम के इतिहास में अनिल कुंबले का नाम एक महान स्पिनर के रूप में हमेशा याद रखा जाएगा। अपने अद्वितीय गेंदबाजी के हुनर और क्रिकेट के प्रति अपने जुनून के चलते अनिल कुंबले ने न केवल अपने लिए एक विशिष्ट स्थान बनाया, बल्कि वे कई युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत भी बने। उनकी फोटोग्राफी के प्रति भी प्रेम कम नहीं था, जिसमें उन्होंने अपने बेटे मायस कुंबले को भी शामिल कर लिया।

क्रिकेट से फोटोग्राफी तक का सफर

मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर और भारतीय टीम के पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ के बेटे भी अपने पिता की तरह क्रिकेटर बनने की राह पर चले, लेकिन कुंबले के बेटे मायस ने एक अलग ही रास्ता चुना। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान अनिल कुंबले के बेटे मायस कुंबले ने क्रिकेट को नहीं, बल्कि फोटोग्राफी को अपने करियर के रूप में चुना। यह जानना रुपए दिलचस्प है कि अनिल कुंबले को फोटोग्राफी का कितना शौक था और उन्होंने इसे अपने बेटे में विरासत के रूप में संचारित किया।

अनिल कुंबले का फोटोग्राफी का जुनून

अनिल कुंबले को बचपन से ही फोटोग्राफी का शौक था। 1980 के दशक के अंत में जब वे अंडर-17 क्रिकेट खेलते थे, तब उन्हें अक्सर कैमरे के साथ देखा जाता था। यह शौक उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग बना रहा और उन्होंने अपने बेटे मायस को भी इसे अपनाने के लिए प्रेरित किया। फोटोग्राफी के प्रति उनका यह जुनून उनके खेल जीवन के साथ अस्तित्व में बना रहा और कई यादगार पलों को कैमरे में कैद करने का मौका मिला।

मायस कुंबले की राह

मायस कुंबले ने बहुत कम उम्र में ही तय कर लिया था कि वे अपने पिता की तरह क्रिकेटर नहीं बनना चाहते। एक समय उन्होंने क्रिकेट एकेडमी में दाखिला लिया था, लेकिन छह सप्ताह बाद ही उन्होंने यह निर्णय ले लिया कि क्रिकेट उनकी मंजिल नहीं है। इसके बावजूद, मायस कुंबले ने अपने पिता की तरह हार नहीं मानी और उन्होंने फोटोग्राफी को अपने करियर के रूप में अपना लिया।

वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर

मायस कुंबले आज एक वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं। उनकी पहली किताब “सफारी सागा: वाइल्ड एनकाउंटर्स ऑफ ए यंग फोटोग्राफर” का प्रकाशन 2022 में हुआ। यह किताब वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी के उनके अनुभवों और साहसिक अभियानों का संकलन है। मायस ने उस किताब के विमोचन के दौरान बताया कि उन्होंने बहुत कम उम्र में ही क्रिकेट की जगह फोटोग्राफी को चुन लिया था। उनकी इस निर्णय ने उन्हें एक अलग पहचान दिलाई है।

घर का वातावरण और मायस की प्रेरणा

अनिल कुंबले और उनकी पत्नी चेतना ने अपने बच्चों के बीच खेल और फोटोग्राफी के प्रति एक संतुलित वातावरण बनाया। कुंबले ने बताया कि वे अक्सर अपने बच्चों को मैच दिखाने ले जाते थे और मायस भी इसका हिस्सा थे। आईपीएल के मैचों को देखने के बाद भी मायस का निर्णय खेल के प्रति नहीं बदला। यह तब स्पष्ट हुआ जब मायस ने घोषित किया कि वह क्रिकेट नहीं खेलना चाहता। इसके बावजूद उन्होंने फोटोग्राफी के प्रति अपने जुनून ने उन्हें गहराई से प्रभावित किया।

फोटोग्राफी के प्रति समर्पण

अनिल कुंबले ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत के दौरान बताया कि फोटोग्राफी उनके और मायस के बीच एक बड़ी कनेक्ट का माध्यम बन गई। मायस के साथ रणथंभौर में एक यात्रा के दौरान, जब उन्हें पता चला कि उन्हें एक कैमरा मिलने वाला है, तो उन्होंने चिलचिलाती गर्मी में सफारी पर जाने की इच्छा जताई। कुंबले ने बताया कि उन्होंने फोटोग्राफी पर विस्तार से चर्चा की और इसके प्रति समर्पित होने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया।

निष्कर्ष

इस बात में कोई संदेह नहीं है कि मायस कुंबले ने अपने पिता अनिल कुंबले के पदचिन्हों पर चलते हुए फोटोग्राफी को अपनाकर एक नया मुकाम हासिल किया है। उनकी यह यात्रा बताती है कि जुनून और समर्पण किसी भी क्षेत्र में व्यक्ति को विशिष्ट स्थान दिला सकता है। एक महान क्रिकेटर के पुत्र होने के बावजूद मायस ने अपने जीवन का अलग ही रास्ता चुना और उसमें सफलता की मिसाल पेश की। इस प्रकार, अनिल कुंबले और उनके बेटे मायस कुंबले दोनों ने अपने-अपने क्षेत्र में एक नई प्रेरणा दी है।

By IPL Agent

💲Daily Check-In Free Bonus💲 💵 Sign Up & Login everyday to get free cash!💵 👉 cricket1.in