चक दे इंडिया: एक फिल्म, जो सदाबहार
“चक दे इंडिया” का नाम सुनते ही ज्यादातर भारतीय फैंस के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। यह फिल्म भारतीय खेल जगत की सबसे प्रतिष्ठित और लोकप्रिय फिल्मों में से एक है। फिल्म में शाहरुख खान के अभिनय ने हर किसी का दिल जीत लिया, लेकिन इस फिल्म के दूसरे प्रमुख किरदारों ने भी अपनी खास छाप छोड़ी। खास तौर पर ऑस्ट्रेलियाई टीम के कोच का किरदार जोशुआ हर्ट ने निभाया था। फिल्म में हर्ट ने एक विलेन का रोल निभाया, जो अपने कूटनीतिक चालों से भारतीय महिला हॉकी टीम के खिलाफ साजिश करता है।
फिल्म की कहानी से असलियत तक
जैसे ही “चक दे इंडिया” को फिल्मी पर्दे पर देखा गया, सभी भारतीय फैंस ने ऑस्ट्रेलियाई कोच को विलेन के रूप में देखा। फिल्म में, यह कोच भारतीय टीम की जासूसी करता है और फाइनल मैच में अपनी रणनीति का उपयोग करके टीम इंडिया को हराने की कोशिश करता है। हालांकि, भारतीय टीम का जोश और हौंसला उसे मात देता है और टीम जीत जाती है।
लेकिन अब, यह वही जोशुआ हर्ट असल जीवन में भी भारतीय हॉकी फैंस के लिए एक खलनायक बन चुका है। वह हाल ही में पेरिस ओलंपिक में हॉकी टूर्नामेंट के डायरेक्टर के रूप में नियुक्त किया गया है और उसके एक फैसले से करोड़ों भारतीय फैंस का दिल टूट गया है।
रेड कार्ड विवाद: भारत के डिफेंडर अमित रोहिदास का मामला
रविवार की रात, जब भारत ग्रेट ब्रिटेन के खिलाफ क्वार्टर फाइनल मैच खेल रहा था, तब भारतीय डिफेंडर अमित रोहिदास को रेड कार्ड मिला। यह कार्ड मिलने के बाद रोहिदास को पूरे मैच के लिए बाहर कर दिया गया। इसके साथ ही, रोहिदास पर आने वाले एक मैच के लिए भी प्रतिबंध का खतरा मंडरा रहा था। इस फैसले का अधिकार टूर्नामेंट डायरेक्टर अर्थात जोशुआ हर्ट के पास था।
जोशुआ हर्ट, जिन्होंने ‘चक दे इंडिया’ में भारतीय टीम के खिलाफ साजिश रची थी, असल जीवन में भी उन्होंने किसी राहत देने वाला फैसला नहीं किया। हर्ट ने रोहिदास पर बैन लगाने का निर्णय लिया। इसके परिणामस्वरूप, भारतीय टीम को सेमीफाइनल में 16 के बजाय 15 खिलाड़ियों के साथ खेलना पड़ा।
अतीत के विवाद: 2011 का भारतीय-पाकिस्तान मुकाबला
यह पहली बार नहीं है जब जोशुआ हर्ट ने भारतीय हॉकी टीम के दिल तोड़े हैं। वर्ष 2011 में, भारतीय और पाकिस्तानी टीमों के बीच एक विवादित मुकाबला खेला गया था। मैच के दौरान, खिलाड़ियों में झगड़ा हो गया था और इसके बाद, टूर्नामेंट डायरेक्टर ग्राहम नैपियर ने कड़ा कदम उठाते हुए भारतीय टीम के 5 सदस्यों को सस्पेंड कर दिया था।
इस सस्पेंशन में तीन खिलाड़ियों के साथ-साथ मैनेजर और सहायक कोच भी शामिल थे। भारतीय मिडफील्डर गुरबाज सिंह पर तीन मैचों का प्रतिबंध लगाया गया था, जबकि गुरविंदर सिंह चंडी और तुषार खांडकर पर पांच-पांच मैचों का बैन लगा था। इस फैसले में भी जोशुआ हर्ट का उच्च भूमिका थी। उन्होंने उस समय भी जोश और साहस के साथ खेलने वाले भारतीय टीम के लिए कठिन स्थितियां उत्पन्न की थी।
क्या यह महज संयोग है?
जोशुआ हर्ट का यह रवैया एक संयोग मात्र भी हो सकता है या फिर यह एक मॉडर्न दिन के खलनायक की वास्तविकता हो सकती है। जो भी हो, भारतीय हॉकी टीम के फैंस को हर्ट के इन फैसलों से निराशा हुई है और यह मामला भारतीय खेल जगत में चर्चा का विषय बना हुआ है। खिलाड़ियों और समर्थकों का यह महसूस करना कि एक व्यक्ति की भूमिका से पूरे टूर्नामेंट के परिणाम पर इतना व्यापक प्रभाव हो सकता है, वैश्विक खेल पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार और न्याय की आवश्यकता को जबर्दस्त रूप से उभारता है।
आगे की राह
भारतीय हॉकी टीम को अब इस स्थिति का सामना करने के लिए पूरी तैयारी करनी होगी। आगामी मैचों में टीम को अपनी ताकत और संयम का प्रदर्शन करना होगा। भारतीय टीम को इस मौके पर और भी मजबूती से खड़ा होना होगा और यह संदेश देना होगा कि किसी भी तरह की पराजय उन्हें उनके लक्ष्यों से दूर नहीं कर सकती।
आखिरकार, खेल में जीत और हार होती रहती है, लेकिन हार को कभी मनोबल कमजोर नहीं होने देना चाहिए। “चक दे इंडिया” के फैंस के लिए भी यह एक सबक है कि फिल्मी और असली जीवन में संघर्ष और चुनौती हमेशा बनाए रखता है।