परिचय
भारतीय रेसलर विनेश फोगाट और साक्षी मलिक ने बुधवार को दिल्ली पुलिस पर गंभीर आरोप लगाया है। उनके मुताबिक, दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण सिंह के खिलाफ यौन शोषण मामलों में गवाही देने वाली महिला पहलवानों की सुरक्षा हटा ली है। एक्स पर अपने पोस्ट में, विनेश ने लिखा, “जिन महिला पहलवानों की बृजभूषण के ख़िलाफ़ कोर्ट में गवाहियाँ होने वाली हैं, दिल्ली पुलिस ने उनकी सुरक्षा हटा ली है।” साक्षी मलिक ने भी यही दावा किया है। इस घटनाक्रम ने एक बार फिर से न्यायिक प्रक्रिया और महिला सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं।
शिकायत और कोर्ट का हस्तक्षेप
बृजभूषण सिंह के खिलाफ यौन शोषण के मामले में गवाह बनने वाली तीन महिला रेसलर्स ने दिल्ली कोर्ट में शिकायत दर्ज की थी। गवाहों ने आशंका जताई कि सुरक्षा हटाए जाने से उनकी जान को खतरा हो सकता है। इनमें से एक गवाह को 23 अगस्त को कोर्ट में गवाही देनी थी। दिल्ली कोर्ट की एडिशनल मजिस्ट्रेट प्रियंका राजपूत ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के सामने डीसीपी ने सुरक्षा अरेंजमेंट को लेकर एफेडेविट दायर किया था। उन्हें मामले की अगली सुनवाई में विस्तार से कारण बताने होंगे कि गवाहों की सुरक्षा क्यों हटाई गई।
अंतरिम सुरक्षा का आदेश
मजिस्ट्रेट प्रियंका राजपूत ने आदेश दिया कि गवाह नंबर चार के लिए अंतरिम सुरक्षा के इंतजाम करने होंगे। डीसीपी को आदेश दिया गया कि जब तक गवाह कोर्ट में बयान नहीं देता है और कोर्ट के अगले आदेश तक उसे सुरक्षा दी जाए। इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को गवाहों की सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम करने का निर्देश दिया।
दिल्ली पुलिस का जवाब
विनेश फोगाट के आरोप के बाद, दिल्ली पुलिस के डीसीपी ने एक्स पर ही विनेश के ट्वीट का जवाब दिया। डीसीपी ने कहा कि पहलवानों को दी गई सुरक्षा नहीं हटाई गई है। हरियाणा पुलिस से अपील की गई थी कि वह यह जिम्मेदारी ले क्योंकि पहलवान ज्यादातर समय हरियाणा में ही रहते हैं। दिल्ली पुलिस के पीएसओ को इस बात को ठीक तरह समझ नहीं पाए और उन्हें रिपोर्ट करने में देरी हो गई। उन्होंने स्पष्ट किया कि सुरक्षा अब फिर से जारी कर दी गई है।
मामला और उसके आरोप
इससे पहले, छह महिला पहलवानों ने रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण सिंह के खिलाफ यौन शोषण की एफआईआर दर्ज की थी। ओलंपिक मेडलिस्ट साक्षी मलिक, बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट एक महीने से ज्यादा समय तक जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे थे। उन्होंने न्याय की मांग की थी।
यौन शोषण के आरोप लगने के बाद दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी, लेकिन बाद में स्थानीय कोर्ट ने जमानत दे दी थी। हाल ही में दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट ने बृजभूषण के खिलाफ आरोप तय कर दिए। उनके खिलाफ धारा-354, 506 समेत अन्य धाराओं में आरोप तय किए गए हैं। दिल्ली पुलिस इस मामले में जून 2023 में बृजभूषण के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी। कोर्ट ने कहा था कि बृजभूषण के खिलाफ आरोप तय करने के पर्याप्त सबूत हैं।
न्यायिक प्रक्रिया और सामाजिक प्रभाव
इस हौची घटना ने एक बार फिर से न्यायिक प्रक्रिया और महिला सुरक्षा को लेकर गंभीर बहस छेड़ दी है। विनेश फोगाट और साक्षी मलिक की तरह अन्य महिला पहलवान भी मजबूत और साहसी कदम उठाकर अपने अनुभव साझा कर रहे हैं। जनता और न्यायिक प्रणाली की प्रतिक्रिया इस मामले के भविष्य को निर्धारित करेगी।
इस मामले ने महिला सुरक्षा और न्यायिक प्रक्रियाओं की मजबूती पर गंभीर सवाल उठाए हैं। कोर्ट के आदेश और पुलिस प्रतिवेदन से ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी और गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी। न्याय की इस लड़ाई में सभी की आंखें कोर्ट के अगले आदेशों पर टिकी हैं।
इस पूरे मामले में सकारात्मक पहल यह है कि न्यायालय और पुलिस दोनों ही गवाहों की सुरक्षा को लेकर सतर्क हैं। उम्मीद है कि इससे अन्य महिलाओं को भी आगे आने और न्याय पाने की प्रेरणा मिलेगी। इस घटनाक्रम ने समाज में जागरूकता बढ़ाई है और न्याय के रास्ते पर चलने का संदेश दिया है।