भारतीय हॉकी टीम ने ब्रॉन्ज मेडल जीता
भारतीय हॉकी टीम ने पेरिस ओलंपिक 2024 में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर देश को गौरवान्वित किया। यह भारत का हॉकी में बैक टू बैक मेडल है, क्योंकि इससे पहले भी टीम ने टोक्यो ओलंपिक 2020 में ब्रॉन्ज मेडल जीता था। टीम ने इस मेडल के लिए काफी मेहनत की और एक यादगार प्रदर्शन किया। ब्रॉन्ज मेडल जीतने के सफर में कई चुनौतियाँ आईं, लेकिन भारतीय टीम ने उन्हें सफलतापूर्वक पार किया।
क्वार्टर फाइनल में रेड कार्ड की घटना
टीम को क्वार्टर फाइनल मैच 10 खिलाड़ियों के साथ खेलना पड़ा क्योंकि अमित रोहिदास को रेड कार्ड मिला था। वह घटना भारतीय टीम के लिए सबसे कठिन क्षणों में से एक था। मैच के दौरान अमित रोहिदास को दूसरे क्वार्टर के दौरान रेड कार्ड मिला था। वह गेंद लेकर भाग रहे थे और ब्रिटिश फॉरवर्ड विल कैलनन पीछे से टैकल करने की कोशिश कर रहे थे।
रेड कार्ड का निर्णय
रोहिदास ने मिडफील्ड में भिड़ंत से बचने की कोशिश की। इस दौरान उनकी हॉकी स्टिक ऊंची उठ गई और कैलनन के चेहरे पर लग गई। मैदान पर मौजूद रेफरी ने शुरू में इस घटना को गंभीर उल्लंघन नहीं माना। हालांकि, वीडियो रेफरल के बाद निर्णय को पलट दिया गया और रोहिदास को रेड कार्ड दिया गया।
रोहिदास का भावुक साक्षात्कार
ब्रॉन्ज जीतने के बाद रोहिदास से जब उस घटना के बारे में पूछा गया तो वह भावुक हो गए। अमित रोहिदास ने एक मीडिया संस्थान को दिए गए इंटरव्यू में कहा, ‘उस दिन जो कुछ भी हुआ वह जानबूझकर मैंने नहीं किया। मैं अब भी नहीं जानता मुझसे वह कैसे हुआ। अभी भी मैं सोचता हूं तो बहुत बुरा लगता है। हालांकि, टीम ने जो खेल कर दिखाया 10 आदमी से वह शानदार था।’
टीम की बहादुरी और रिकॉर्ड
भारतीय टीम ने 10 खिलाड़ियों के साथ खेलकर भी दो-दो रिकॉर्ड बनाए। हमने 52 साल बाद ऑस्ट्रेलिया को हराया। वहीं, ग्रेट ब्रिटेन के खिलाफ 43 मिनट तक 10 खिलाड़ियों के साथ खेलें। मौजूदा समय में यह बहुत बड़ी बात है। अपने प्रति टीम की निष्ठा और साहस को देखकर रोहिदास गर्व महसूस करते हैं।
मैच की रणनीति और सफलता
सबसे पहले भारतीय कप्तान हरमनप्रीत सिंह ने दूसरे क्वार्टर में गोल करके टीम को 1-0 की बढ़त दिलाई। इसके बाद ब्रिटेन की टीम ने दूसरे क्वार्टर में ही बराबरी का गोल दागकर स्कोर 1-1 से बराबर कर दिया। भारतीय टीम ने फिर महज 10 खिलाड़ियों के साथ इस स्कोर को आखिर तक बनाए रखा।
पेनल्टी शूटआउट और ब्रॉन्ज मेडल
मैच पेनल्टी शूटआउट तक पहुंच गया। पेनल्टी शूटआउट में भारतीय गोलकीपर पीआर श्रीजेश ने शानदार प्रदर्शन किया और ब्रिटेन के खिलाड़ियों को गोल करने से रोका। भारत ने यह मैच पेनल्टी शूटआउट में 4-2 से जीत लिया और ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया।
देश का गौरव
भारतीय हॉकी टीम का यह संघर्ष और मेहनत नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बना। ब्रॉन्ज मेडल जीतकर टीम ने देश का नाम रोशन किया और यह साबित किया कि भारतीय हॉकी का भविष्य उज्ज्वल है। हर भारतीय के दिल में इस जीत की खुशी और गर्व हमेशा बनी रहेगी।
निष्कर्ष
यह जीत भारतीय हॉकी टीम के अदम्य साहस, निष्ठा और टीम वर्क का परिणाम है। अमित रोहिदास के लिए यह एक भावुक अनुभव था, लेकिन उनकी टीम के सहयोग और समर्थन ने उन्हें इस कठिन परिस्थिति में मजबूती दी। इस ब्रॉन्ज मेडल के साथ भारतीय हॉकी ने एक नया इतिहास रचा और आने वाले समय में और भी ऊंचाइयों को छूने की उम्मीद की जाती है।