परिचय

पूर्व WFI अध्यक्ष और भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज की गई FIR और उसके आधार पर ट्रायल कोर्ट में चल रही कार्यवाही को चुनौती देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया है। यह FIR महिला पहलवानों द्वारा दायर की गई शिकायतों पर आधारित है। बृजभूषण शरण सिंह ने अपनी याचिका में FIR, चार्जशीट और ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती देने की मांग की है।

मामले की पृष्ठभूमि

यह पूरा मामला तब शुरू हुआ जब कुछ महिला पहलवानों ने बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न, धमकी और महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाने के आरोप लगाए। मई 2023 में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ FIR दर्ज की थी।

याचिका में क्या है?

बृजभूषण शरण सिंह ने अपनी याचिका में कहा है कि मामले की जांच एकपक्षीय तरीके से की गई है, जहां केवल पीड़ितों के बयान पर विचार किया गया। उन्होंने अदालत में कहा है कि उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाए गए हैं और ट्रायल कोर्ट ने इन बयानों पर विचार नहीं किया। उन्होंने FIR और चार्जशीट को निरस्त करने की मांग की है।

क्या कहती है याचिका?

याचिका के अनुसार, बृजभूषण शरण सिंह का दावा है कि उन्हें इस मामले में झूठा फंसाया गया है और अभियोजन पक्ष ने जो आरोप लगाए हैं, वैसा कोई भी अपराध उन्होंने नहीं किया। याचिका में यह भी दावा किया गया है कि जांच प्रक्रिया को ठीक से नहीं किया गया और इसे पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण बताया गया है।

ट्रायल कोर्ट का आदेश

ट्रायल कोर्ट ने 21 मई को बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न, धमकी और महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाने के आरोप तय किए थे। कोर्ट ने साथ ही WFI के पूर्व सहायक सचिव विनोद तोमर के खिलाफ आपराधिक धमकी का भी आरोप तय किया था। बृजभूषण शरण सिंह ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को भी अपनी याचिका में चुनौती दी है।

सुनवाई की तारीख

बृजभूषण शरण सिंह की याचिका पर गुरुवार को न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा के समक्ष सुनवाई होनी है। यह मामला अब न्यायालय के विचाराधीन है और इस पर आने वाले दिनों में क्या निर्णय होता है, यह देखने लायक होगा।

भविष्य की दिशा

यदि हाईकोर्ट में बृजभूषण शरण सिंह की याचिका स्वीकार हो जाती है, तो यह मामला नया मोड़ ले सकता है। हालांकि, यदि याचिका खारिज होती है, तो ट्रायल कोर्ट में चल रही कार्यवाही जारी रहेगी। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि न्यायालय जाँच प्रक्रिया का पुनर्मूल्यांकन कैसे करती है और क्या आरोपियों को उचित न्याय मिलता है या नहीं।

समाज पर प्रभाव

यह मामला न केवल महिला पहलवानों की गरिमा और उनसे जुड़े मुद्दों को दर्शाता है, बल्कि पूरे समाज में महिलाओं के अधिकारों और न्याय की मांग को भी ध्यान में रखता है। यदि आरोप सही साबित होते हैं, तो यह हमारे समाज के लिए एक बड़ी चेतावनी होगी कि महिलाओं को सम्मान और सुरक्षा की जरूरत है। न्यायालय का यह निर्णय समाज में एक महत्वपूर्ण संदेश भी भेजेगा।

निष्कर्ष

बृजभूषण शरण सिंह का यह मामला अब दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष है और यह देखना दिलचस्प होगा कि न्यायालय इस मामले में क्या निर्णय लेती है। यह मामला महिला अधिकारों, न्याय और सामाजिक व्यवस्था के महत्वपूर्ण मुद्दों के संदर्भ में बहुत ही महत्वपूर्ण है। न्यायालय के निर्णय का प्रभाव समाज में महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण को भी प्रभावित करेगा। इसलिए, यह मुद्दा अब सभी की निगाहों में है और इसका परिणाम महत्वपूर्ण होगा।

By IPL Agent

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