पेरिस ओलंपिक 2024 में मनु भाकर की ऊँचाई
पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत का गर्व बनीं 22 वर्षीय महिला शूटर मनु भाकर ने अपनी शानदार परफॉर्मेंस से देश को दो ब्रॉन्ज मेडल जिताए हैं। उनकी इस सफलता के पीछे उनकी अदम्य मेहनत और दृढ़ संकल्प का हाथ है, लेकिन इस जीत के पीछे एक और महत्वपूर्ण शख्स की भूमिका भी है, और वह हैं उनके कोच व पूर्व भारतीय शूटर जसपाल राणा। जसपाल राणा की कोचिंग में मनु ने अपनी स्किल्स को इतनी परिपक्वता से निखारा और उन्होंने पेरिस में जो बेहतरीन प्रदर्शन किया, उसने सबका दिल जीत लिया।
जसपाल राणा की अन्तरद्वंद्व
जसपाल राणा का नाम भारतीय शूटिंग में ख्यातिप्राप्त है। लेकिन, पेरिस ओलंपिक के दौरान एक इंटरव्यू के दौरान, जसपाल राणा ने अपनी दशा और दर्द का खुलासा किया, जिससे सुनकर हर किसी को हैरानी हुई। रेवस्पोर्ट्ज के साथ एक इंटरव्यू में जसपाल राणा ने बताया कि टोक्यो ओलंपिक में जब मनु भाकर मेडल जीतने में असफल रही थीं, तब उन्हें खुद जसपाल को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। उन पर आरोप लगाए गए और उनको काफी गालियां सुननी पड़ी। इसके बावजूद जसपाल का हौसला नहीं टूटा और उन्होंने मनु भाकर को कोचिंग देने का काम जारी रखा।
कुछ हासिल, कुछ खोया
जसपाल राणा ने बताया कि वह मनु की सफलता से बेहद खुश हैं, लेकिन उनकी अपनी राह उतनी आसान नहीं रही। “मैं कोई बड़ा व्यक्ति नहीं हूं, लेकिन मनु ने चाहा कि मैं उसकी मदद करूँ और मैंने वही किया। और आज उसकी मेहनत रंग लाई।” जसपाल ने बताया कि पिछले तीन सालों से उन्हें नेशनल राइफल एसोसिएशन या किसी अन्य एजेंसी से कोई भी मंथली सैलरी नहीं मिली है। इससे वे काफी परेशान हैं और अब वे एक नई नौकरी की तलाश में हैं।
मनु की खुशी और जसपाल की मेहनत
जसपाल का कहना है, “मैं मनु से भी ज्यादा खुश हूँ कि उसने भारत के लिए मेडल जीता।” मनु भाकर में क्षमता की कमी नहीं है और जसपाल ने उन्हें सही दिशा दिखाई। जसपाल का मानना है कि मनु खुद एक स्टार हैं और वे खुद बिना नौकरी के कोच हैं। जसपाल का मानना है कि वे भारत के लिए नई शुरुआत करना चाहेंगे, लेकिन इसके लिए उन्हें नौकरी की सख्त जरूरत है।
टोक्यो ओलंपिक की यादें
जसपाल राणा ने कहा, “मैंने कभी कोई गलत काम नहीं किया है। टोक्यो ओलंपिक में में मौजूद नहीं था, लेकिन मुझे बेवजह गालियाँ दी गईं और ट्रोल किया गया।” वे कहते हैं कि उन लोगों ने जो गालियाँ दी थी, क्या वे उनकी शांति वापस कर सकते हैं? शायद कभी नहीं। उनकी लाइफ में आगे क्या होगा, इस बारे में उन्हें कुछ पता नहीं है, लेकिन वे भारत के लिए फिर से वापसी करने का इंतजार करेंगे। जसपाल ने मनु के साथ रहने का संकल्प लिया है, लेकिन साथ ही वे रोजगार की भी तलाश कर रहे हैं।
जसपाल राणा की मार्मिक अपील
जसपाल राणा के इस दर्द को समझा जा सकता है कि एक ऐसा व्यक्ति जिसने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन किया, आज वह रोजगार के लिए संघर्ष कर रहा है। जसपाल राणा की मेहनत और उनकी कोचिंग द्वारा मनु भाकर जैसी सितारों को तराशने का कार्य किसी से छुपा नहीं है, लेकिन इसके बावजूद वे आज गुमनामी और बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं।
जसपाल का यह दर्द और उनकी अपील इस बात को साबित करती है कि स्पोर्ट्स कोच का योगदान कितना महत्वपूर्ण है। अच्छा कोच ही अच्छे खिलाड़ियों को तैयार कर सकता है और हमारे देश में उन्हें उचित सम्मान और रोजगार मिलना चाहिए।
यह समय है जब जसपाल राणा जैसी शख्सियत को पुनः वो स्थान दिया जाए जहां वे और भी नए सितारे तैयार कर सकें। और इस पेरिस ओलंपिक में मनु भाकर की सफलता इसी बात का प्रमाण है कि जसपाल राणा जैसे कोचों की देश को जरूरत है। हम आशा करते हैं कि जसपाल राणा को जल्द ही एक अच्छी नौकरी मिलेगी और वे फिर से भारतीय शूटिंग कम्युनिटी के लिए विशेष योगदान दे सकेंगे।