भारतीय हॉकी टीम की ऐतिहासिक सफलता
भारतीय हॉकी टीम ने पेरिस ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर एक बार फिर इतिहास रच दिया। यह सफलता कई दशक के बाद आई है, और इसके साथ ही भारतीय टीम ने बैक टू बैक ओलंपिक में मेडल जीतने का कारनामा किया है। पूरी देश में इस जीत का जश्न मनाया जा रहा है, लेकिन इस सफलता का श्रेय न केवल खिलाड़ियों को बल्कि उनके कोच क्रेग फैल्टन और सपोर्ट स्टाफ को भी जाता है। भारतीय टीम ने न केवल अपने खेल से बल्कि अपनी मानसिक मजबूती और फिटनेस से भी सामने वाली टीमों को चुनौती दी।
सपोर्ट स्टाफ का महत्व
भारतीय हॉकी टीम के कोच क्रेग फैल्टन का मानना है कि पेरिस ओलंपिक में मिली सफलता के पीछे सिर्फ खिलाड़ी और कोच नहीं बल्कि कई और लोगों का भी अहम रोल है। भारतीय टीम ने पेरिस में अपना पहला मैच 29 जुलाई को खेला और उसके बाद 13 दिन में आठ मुकाबले खेले। इतनी कम अवधि में कई मैच खेलने के बावजूद किसी भी खिलाड़ी को चोट नहीं लगी।
भारतीय गोलकीपर पीआर श्रीजेश के रिटायरमेंट के कार्यक्रम के दौरान टीम के कोच क्रेग फैल्टन ने जनसत्ता.कॉम से विशेष बातचीत की। उन्होंने बताया कि टीम की सफलता में उनके सपोर्टिंग स्टाफ का बहुत अहम रोल है। खास तौर पर उन लोगों का जिन्होंने टीम को पूरी तरीके से फिट रखा।
फैल्टन ने कहा, “भारतीय टीम के इस ब्रॉन्ज मेडल में सपोर्ट स्टाफ का बहुत बड़ा हाथ है। चाहे टीम के एनालिटिकल कोच हो, वीडियो एनालिस्ट हो या फिर फीजियो। हर किसी ने अपना काम बखूबी तरीके से किया। हमारी टीम ने 13 दिन में 8 मैच खेले लेकिन कोई भी खिलाड़ी चोटिल नहीं हुआ। इसका श्रेय सपोर्ट स्टाफ को दिया जाना चाहिए जिन्होंने रात दिन खिलाड़ियों के लिए मेहनत की।”
रणनीति और परफॉरमेंस
फैल्टन ने पेरिस ओलंपिक के लिए अपनी रणनीति पर भी खुलकर बात की। उन्होंने बताया कि प्रो लीग और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज में टीम भले ही कुछ खास प्रदर्शन ना कर पाई हो, लेकिन इन दोनों सीरीज से उन्होंने काफी कुछ सीखा।
फैल्टन ने कहा, “मेरे पास एक गेम प्लान था। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हमारा परिणाम अच्छा नहीं रहा किया, लेकिन हमने वहां से बहुत कुछ सीखा। हम समझ गए थे कि ओलंपिक में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ किस तरह की रणनीति पर काम करना है। मेरा प्लान यही था कि खिलाड़ी का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन ओलंपिक में आए। ऐसा ही हुआ। पहले मैच से लेकर ब्रॉन्ज मेडल मार्च तक हर खिलाड़ी ने अपना 100% दिया। हमने ऑस्ट्रेलिया को मात दी।”
महिला टीम की स्थिति
ओलंपिक से कुछ समय पहले भारतीय महिला हॉकी टीम की कोच ने यह कहकर अपना पद छोड़ दिया था कि इस टीम में माहौल अच्छा नहीं है। जब इस बारे में फैल्टन से बात की गई, तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि अगर पुरुष टीम में ऐसा होता, तो टोक्यो ओलंपिक में मेडल नहीं आता।
फैल्टन ने कहा, “पुरुष टीम का माहौल अच्छा है जहां खिलाड़ी एक टीम बनाकर खेलते हैं। यही कारण है कि हम टोक्यो ओलंपिक में मेडल जीत पाए। खिलाड़ी एकजुट होकर खेलते हैं और एक-दूसरे का समर्थन करते हैं, यही हमारी सफलता का सबसे बड़ा कारण है।”
आगे की राह
भारतीय हॉकी टीम की इस ऐतिहासिक सफलता ने ना केवल खिलाड़ियों को बल्कि युवा पीढ़ी को भी प्रेरित किया है। फैल्टन और उनकी टीम को अब अगली चुनौतियों के लिए तैयार रहना होगा। उन्हें इस मेहनत और समर्पण को बरकरार रखते हुए अगले ओलंपिक और अन्य अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट्स में भी ऐसे ही प्रदर्शन करना होगा।
भारतीय हॉकी टीम का यह सफर सिर्फ एक पदक तक सीमित नहीं रहेगा। इसके पीछे की मेहनत और रणनीति आने वाले सालों में भी भारतीय हॉकी को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी।
फैल्टन और उनकी टीम को इस जीत के लिए बहुत-बहुत बधाई और आने वाले सभी चुनौतियों के लिए शुभकामनाएं।