बुची बाबू टूर्नामेंट: सूर्यकुमार यादव की मेहनत और टेस्ट टीम में वापसी की उम्मीदें
भारतीय क्रिकेट के धुरंधर बल्लेबाज सूर्यकुमार यादव, जो वर्तमान में टीम इंडिया की टी20 टीम के कप्तान हैं, खुद को भारतीय टेस्ट टीम में पुनः स्थापित करने के लिए कोई कोर-कसर बाकी नहीं रख रहे हैं। 33 वर्षीय सूर्यकुमार यादव ने नागपुर में 2023 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपने टेस्ट करियर की शुरुआत की थी, लेकिन कुछ दुर्भाग्यपूर्ण चोटों के बाद वह टीम से बाहर हो गए थे। मंगलवार, 27 अगस्त से शुरू होने वाले बुची बाबू टूर्नामेंट में सूर्यकुमार ने धमाकेदार वापसी की तैयारी की है। उन्होंने सोमवार, 26 अगस्त को प्रैक्टिस सेशन में तीन घंटे पसीना बहाया।
सूर्या के इरादे स्पष्ट: नई चुनौती और पुरानी मोहब्बत
सूर्यकुमार ने स्पष्ट कर दिया है कि उनका मकसद भारतीय टेस्ट टीम में वापसी करना है। सूर्यकुमार यादव ने प्रैक्टिस सेशन के बाद कहा, “मैं उस टेस्ट टीम में जगह बनाना चाहता हूं। टेस्ट में भारत के लिए पदार्पण करने के बाद मैं चोटिल हो गया। कई खिलाड़ियों को मौके मिले और उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया। वे खिलाड़ी इस समय मौके के हकदार हैं। आगे जाकर अगर मुझे खेलना है तो यह मेरे नियंत्रण में नहीं है। अभी मेरे नियंत्रण में यही है कि मैं यह टूर्नामेंट (बुची बाबू) खेलूं, फिर दलीप ट्रॉफी खेलूं और फिर हम देखेंगे कि क्या होता है।”
मुख्य चयनकर्ता और कोच की रणनीतियाँ
श्रीलंका सीरीज से पहले मुख्य चयनकर्ता अजीत अगरकर ने कहा था कि सूर्यकुमार को एक टी20 खिलाड़ी के रूप में देखा जा रहा है, लेकिन नए मुख्य कोच गौतम गंभीर ने सूर्यकुमार की टेस्ट टीम में वापसी के लिए दरवाज़ा खुला रखा है। गंभीर का मानना है कि सूर्यकुमार जैसे प्रतिभाशाली और समर्पित खिलाड़ी को मौका मिलना चाहिए। मंगलवार को बुची बाबू टूर्नामेंट सूर्या के लिए एक नई अग्निपरीक्षा के रूप में सामने आया है।
पहली पारी का अनुभव और सीखने की उम्मीदें
नागपुर की परिस्थितियों में अपनी पहली टेस्ट पारी के दौरान सूर्यकुमार कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाए थे। लेकिन पिछले साल की दलीप ट्रॉफी में उनकी बल्लेबाजी में थोड़ी जल्दबाजी दिखाई दी थी। इन अनुभवों ने उन्हें यह सिखाया है कि कैसे अपनी बल्लेबाजी में संयम और स्थिरता बनाए रखी जा सकती है। 82 प्रथम श्रेणी मैचों में उनका औसत 43.62 और स्ट्राइक रेट 63.74 है, जिससे स्पष्ट होता है कि वे कठिन परिस्थितियों में भी बेहतरीन खेल दिखाने में सक्षम हैं।
ट्रेनिंग और मानसिकता का मंथन
सूर्या ने अपने जंगल में नेट्स पर पसीना बहाते हुए बताया कि उन्हें लंबे समय बाद मल्टी डे फिचर खेलते हुए बहुत मेहनत करनी पड़ रही है। उन्होंने बताया, “यह प्रारूप थोड़ा चुनौतीपूर्ण है। आपको एक कदम आगे रहना होगा। आप टी20 मैच की तरह बल्लेबाजी नहीं कर सकते। लेकिन साथ ही इरादा बहुत महत्वपूर्ण है। मैदान पर आपकी बॉडी लैंग्वेज कैसी है वह भी महत्वपूर्ण है। अभ्यास सत्रों के दौरान क्या करना है इसके बारे में सोचना होता है। आप खेलते वक्त बहुत अधिक नहीं सोच सकते।”
फ्यूचर प्लान्स और रणजी ट्रॉफी
बांग्लादेश के खिलाफ टेस्ट सीरीज में भारतीय टीम में विराट कोहली और केएल राहुल की वापसी होंगी। इसके अलावा, मुंबई के उनके साथी श्रेयस अय्यर और सरफराज खान भी मध्यक्रम में अपनी जगह बनाने की दौड़ में हैं। अगले तीन सप्ताह में सूर्या को कम से कम तीन दलीप ट्रॉफी मैच खेलने हैं। इसके बाद रणजी ट्रॉफी भी होनी है, जो उनके लिए एक और मौका हो सकता है अपनी काबिलियत को साबित करने का।
सूर्या ने कहा, “जब मैं मुंबई के मैदान में खेलकर बड़ा हुआ और लोकल क्रिकेट खेला, तो मैंने लाल गेंद से खेलना शुरू किया। लाल गेंद वाले क्रिकेट के लिए प्यार वहीं से शुरू हुआ। यह हमेशा से रहा है। मैंने करीब 10 साल तक बहुत सारा प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेला है। मैंने 2010 में मुंबई के लिए अपना डेब्यू (लाल गेंद) किया और कम से कम 2020 तक खेला। यह प्रारूप मेरे दिल के करीब रहा है और मैंने हमेशा इसे खेलने का आनंद लिया है। यही कारण है कि मैं दलीप ट्रॉफी से पहले यहां हूं। मैं यह अवसर पाकर भाग्यशाली हूं।”
सूर्यकुमार यादव की मेहनत और समर्पण को देखते हुए, उम्मीद है कि वे अपनी नई योजना के साथ भारतीय टेस्ट टीम में एक बार फिर से चमक बिखेर पाएंगे। उनकी इस नई पहल के साथ भारतीय क्रिकेट के प्रशंसकों की भी उम्मीदें उनसे जुड़ी रहेंगी।