भारत को पैरालंपिक में मिला दूसरा स्वर्ण पदक
भारत के नितेश कुमार ने पेरिस पैरालंपिक में देश को दूसरा गोल्ड मेडल दिलाया। नितेश कुमार ने पुरुष एकल बैडमिंटन की SL3 स्पर्धा के फाइनल में कड़े मुकाबले में ग्रेट ब्रिटेन के डेनियल बेथेल को हराकर पैरालंपिक में पहली बार स्वर्ण पदक जीता। यह खेल के इतिहास में भारतीय बैडमिंटन के लिए एक महत्वपूर्ण पल था। नितेश ने इस जीत के साथ पूरे देश को गर्वित किया और पैरालंपिक खेलों में भारत की पदक तालिका में एक और सोने की चमक शामिल की।
तीन साल की प्रतीक्षा के बाद मिला अद्वितीय पल
तीन साल पहले टोक्यो पैरालंपिक में इसी स्पर्धा में भारत के प्रमोद भगत ने गोल्ड मेडल जीता था। इस बार नितेश कुमार ने यह खिताब अपने नाम किया। आईआईटी मंडी से स्नातक नितेश ने एक ऐसे प्रतिद्वंद्वी का सामना करते हुए, जिसने उन्हें पहले नौ बार हराया था, डेनियल बेथेल पर अपनी पहली जीत दर्ज करते हुए अपार मानसिक दृढ़ता का प्रदर्शन किया। मैच की सजीवता और रोमांच ने दर्शकों को रोमांचित कर दिया।
मैच की रोमांचकता और नितेश की प्रतिभा
फाइनल मैच धीरज और कौशल की परीक्षा था, जिसमें दोनों खिलाड़ियों ने शानदार रैलियां खेलीं। इसमें शुरुआती गेम में 122 शॉट्स की लगभग तीन मिनट की रैली भी शामिल थी। नितेश के तीखे रिवर्स हिट, नाजुक ड्रॉप शॉट और पॉलिश्ड नेट प्ले ने पूरे मैच में बेथेल को अपने पैरों पर खड़ा रखा। हरियाणा के 29 साल के नितेश ने अपने मजबूत डिफेंस और सही शॉट चयन की मदद से टोक्यो पैरालंपिक के रजत पदक विजेता डेनियल बेथेल को एक घंटे और 20 मिनट चले मुकाबले में 21-14, 18-21, 23-21 से हरा दिया।
अंतिम गेम का रोमांच
अंतिम गेम में, तनाव और रोमांच स्पष्ट था क्योंकि दोनों एथलीट एक-दूसरे से अंक के लिए मुकाबला कर रहे थे। मुकाबला 8-8 से 19-19 पर पहुंच गया। नितेश के पास 20-19 पर पहला चैंपियनशिप पॉइंट था, लेकिन वह इसे कन्वर्ट नहीं कर पाए। डेनियल बेथेल के पास भी 21-20 पर मैच पॉइंट था, लेकिन वह नेट पर लड़खड़ा गया। अंत में, भारतीय खिलाड़ी ने मौके का फायदा उठाया और बेथेल के लंबे और वाइड शॉट के बाद मैच जीत लिया।
SL3 वर्ग के खिलाड़ियों के समर्पण की कहानी
एसएल3 वर्ग के खिलाड़ियों के शरीर के निचले हिस्से में अधिक गंभीर विकार होता है और वह आधी चौड़ाई वाले कोर्ट पर खेलते हैं। नितेश कुमार जब 15 साल के थे तब उन्होंने 2009 में विशाखापत्तनम में एक रेल दुर्घटना में अपना बायां पैर खो दिया था, लेकिन उन्होंने इस सदमे से उबरकर पैरा बैडमिंटन को अपनाया। नितेश कुमार ने 2016 में फरीदाबाद में राष्ट्रीय खेलों में पैरा बैडमिंटन में पदार्पण किया। वहां उन्होंने कांस्य पदक जीता। इसके बाद उन्होंने विश्व स्तर पर भी शानदार प्रदर्शन किया।
नितेश का प्रेरणादायक सफर
नितेश कुमार की कहानी न केवल खेल में उनकी उत्कृष्टता की कहानी है, बल्कि उनका संघर्ष और आत्म-प्रेरणा की भी कहानी है। उन्होंने 2022 में एशियाई पैरा खेलों में पुरुष एकल में रजत समेत तीन पदक जीते थे। यह उनके समर्पण और कड़ी मेहनत का परिणाम है। पैरालंपिक में नितेश कुमार की जीत न केवल उनके लिए, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणादायक है जो चुनौतियों का सामना करते हुए अपने सपनों को साकार करने के लिए संघर्ष कर रहा है।
पेरिस पैरालंपिक में भारत की बढ़ती पदक संख्या
पेरिस पैरालंपिक में भारत का यह दूसरा स्वर्ण पदक है। नितेश कुमार से पहले निशानेबाज अवनी लेखरा ने महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग SH1 स्पर्धा में देश के लिए सोना जीता था। इस पदक के साथ पेरिस पैरालंपिक में भारत की मेडल संख्या 9 हो गई। इसमें 2 गोल्ड, 3 सिल्वर और 4 कांस्य पदक शामिल हैं। भारत पेरिस पैरालंपिक खेलों की पदक तालिका में अभी (2 सितंबर 2024, शाम 5:10 बजे तक) 22वें नंबर पर पहुंच गया।
नितेश कुमार की इस जीत के साथ, भारत ने पेरिस पैरालंपिक में अपनी स्थिति को और मजबूत किया है और यह दिखा दिया है कि विश्व मंच पर भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन उल्लेखनीय है। नितेश की यह अभूतपूर्व जीत न केवल बधाई के योग्य है, बल्कि यह उन सभी खिलाड़ियों को प्रेरित करने वाली है जो पैरालंपिक में भारत का नाम रोशन करने का सपना देखते हैं।