भारत का शानदार प्रदर्शन
पेरिस पैरालंपिक गेम्स 2024 में भारत का प्रदर्शन बेहतरीन रहा है। भारतीय पैरालंपिक एथलीटों ने अपने अथक प्रयास और दृढ़ संकल्प के बल पर कई महत्वपूर्ण पदक जीते हैं। सोमवार को भारतीय एथलीट योगेश कथुनिया ने पुरुषों के डिस्कस थ्रो एफ 56 इवेंट में सिल्वर मेडल जीतकर भारत को गर्व का नया कारण दिया।
योगेश कथुनिया की उल्लेखनीय यात्रा
योगेश कथुनिया ने इस इवेंट में 42.22 मीटर का थ्रो फेंक कर दूसरे स्थान पर कब्जा किया। ब्राजील के क्लाउडिनियो बतिस्ता ने 46.86 मीटर थ्रो करके गोल्ड मेडल जीता। हालांकि, योगेश का सफर एक सामान्य एथलीट के सफर से कहीं अधिक कठिन और प्रेरणादायक रहा है।
जीवन की कठिनाइयाँ
4 मार्च 1997 को बहादुरगढ़ में जन्मे योगेश कथुनिया की यात्रा हमेशा से कठिन रही है। 9 साल की उम्र में उन्हें गिलियन-बैरे सिंड्रोम का सामना करना पड़ा, जिसने उनके जीवन को बदल के रख दिया। हालांकि, उनके माता-पिता ने कभी हार नहीं मानी। उनके पिता भारतीय सेना में थे और उनकी माँ हाउसवाइफ थीं। उनकी माँ ने फिजियोथेरेपी सीखी और अपने बेटे को फिर से चलने-फिरने के लायक बनाया।
शिक्षा और प्रेरणा
योगेश ने चंडीगढ़ के इंडियन आर्मी पब्लिक स्कूल से पढ़ाई की और फिर दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज में दाखिला लिया। वहां उन्होंने कॉमर्स से ग्रैजुएशन किया। 2016 में किरोड़ीमल कॉलेज में छात्र संघ के महासचिव सचिन यादव ने उन्हें पैरा एथलीटों के वीडियो दिखाकर खेल को अपनाने के लिए प्रेरित किया।
खेलों में कदम
योगेश ने पैरा स्पोर्ट्स में कदम रखने के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। 2018 में बर्लिन में आयोजित 2018 विश्व पैरा एथलेटिक्स यूरोपीय चैंपियनशिप में उन्होंने 45.18 मीटर का थ्रो फेंका और F36 कैटेगरी में विश्व रिकॉर्ड बना दिया।
पिछली सफलताएँ
योगेश ने टोक्यो पैरालंपिक गेम्स 2020 में भी सिल्वर मेडल जीता था, जिसमें उन्होंने 44.38 मीटर का थ्रो फेंका था। उनकी इन उपलब्धियों ने उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाई।
सम्मान और पुरस्कार
2021 नवंबर में, भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने 2020 ग्रीष्मकालीन पैरालिंपिक में रजत पदक जीतने के लिए योगेश कथुनिया को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया। यह सम्मान उनके कठिन परिश्रम और देश के प्रति उनके योगदान का प्रमाण है।
पेरिस पैरालंपिक 2024 की तैयारी
इस बार पेरिस पैरालंपिक 2024 के लिए योगेश कथुनिया ने विशेष रूप से तैयारी की थी। उन्होंने अपने प्रशिक्षण में किसी भी तरह की कमी नहीं रखी। उनकी सफलता ने पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत का मान बढ़ाया है और देश को गर्व का एक नया कारण दिया है।
आगे की राह
योगेश कथुनिया की इस सफलता ने देश के अन्य पैरालंपिक एथलीटों को भी प्रेरित किया है। उन्होंने यह साबित कर दिया है कि मजबूत इच्छाशक्ति और कठिन परिश्रम से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। उनकी इस उपलब्धि ने न केवल भारतीय पैरालंपिक समुदाय को बल दिया है, बल्कि विश्व स्तर पर भी भारत का कद बढ़ाया है।
समारोह और समाज
योगेश की इस उपलब्धि पर देशभर में उनकी सराहना हो रही है। सरकार और खेल मंत्रालय ने भी उनके प्रदर्शन की जमकर तारीफ की है। उनके गृह राज्य और परिवेश में भी खुशी का माहौल है और लोग उनकी इस सफलता को अपनी सफलता मान रहे हैं।
योगेश कथुनिया ने पेरिस पैरालंपिक 2024 में डिस्कस थ्रो एफ 56 इवेंट में सिल्वर मेडल जीतकर यह सिद्ध कर दिया है कि हर कठिनाई को पार करके भी ऊँचाइयों को छुआ जा सकता है। उनकी यह सफलता भविष्य के एथलीटों के लिए एक प्रेरणा बनकर रहेगी।
भारत के लिए यह वक्त एक नए युग की शुरुआत है जहां पैरालंपिक एथलीट भी सामान्य एथलीटों की तरह सम्मान और मान्यता पा रहे हैं। योगेश कथुनिया और उनके जैसे अन्य एथलीटों को हमारा सलाम!