पेरिस ओलंपिक 2024 की विस्तृत समीक्षा
पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत का अभियान 6 पदकों (एक रजत, पांच कांस्य) के साथ संपन्न हुआ। नीरज चोपड़ा, मनु भाकर, सरबजोत सिंह, स्वप्निल कुसाले, अमन सहरावत और भारतीय हॉकी टीम ने देश के लिए पदक जीते। यह ओलंपिक भारत की उम्मीदों का परीक्षण साबित हुआ, जिसमें भारतीय दल ने ओलंपिक के इतिहास में दूसरी बार 6 पदक जीते। टोक्यो 2020 में भारत द्वारा 7 पदकों का प्रदर्शन यह सुझाव देता है कि उम्मीदें अधिक थीं, लेकिन कुछ तत्वों में कमी रह गई।
पिछली ओलंपिक प्रदर्शन की तुलना
2012 लंदन ओलंपिक में भी भारत ने 6 पदक जीते थे। टोक्यो 2020 में भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दर्ज हुआ था, जहां भारतीय दल ने 7 पदक जीते थे। भारतीय दल से इस बार 10 से ज्यादा पदक की उम्मीदें थीं, लेकिन बदकिस्मती से यह सच नहीं हो सका। कुछ प्रमुख खिलाड़ियों की उपस्थिति के बावजूद, उनकी प्रदर्शन क्षमता काफ़ी नीचे गिर गई।
मुक्केबाजों की निराशा
इसमें भारतीय मुक्केबाज निकहत जरीन, लवलीना बोरगोहेन, निशांत देव शामिल थे, जिनसे पदक की उम्मीदें थीं लेकिन वे उन पर खरा नहीं उतर पाए। निकहत जरीन और लवलीना बोरगोहेन, दोनों कुशल मुक्केबाज हैं, लेकिन किसी कारणवश उनके प्रदर्शन में गिरावट आई। वे अपनी मजबूत प्रतिद्वंदियों के सामने संघर्ष करती नजर आई। चौथी बार एमसी मैरीकॉम ने लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था, लेकिन इस बार का प्रदर्शन निराशाजनक रहा।
विश्लेषण: खेल की गति और मुद्दे
विज्ञप्ति हुई कि भारतीय मुक्केबाजों में आवश्यक गति की कमी नजर आई। निकहत जरीन को मुश्किल ड्रॉ मिला था, लेकिन वह जल्द ही वू यू से हार गईं। लवलीना को ली कियान से हार का सामना करना पड़ा। निशांत देव ने क्वार्टर फाइनल में विवादास्पद परिणाम के कारण पदक से वंचित हो गए। खेल के जानकारों के अनुसार इस बार क्वालिफाई करने वाले 6 मुक्केबाजों से कम से कम एक पदक की उम्मीदें थीं।
बैडमिंटन से उम्मीदों का टूटना
बैडमिंटन खेल में भारतीय दल पिछले 12 वर्षों से अपनी मजबूत उपस्थिति का परिचय देता रहा है, लेकिन पेरिस 2024 में प्रदर्शन निराशाजनक रहा। पीवी सिंधु, चिराग शेट्टी, सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी और लक्ष्य सेन जैसे खिलाड़ी भी पदक हासिल करने में असमर्थ रहे। पीवी सिंधु, जिन्होंने पिछले दो ओलंपिक में पदक जीते थे, इस बार चीन की बिंग जियाओ से हार गईं।
चिराग शेट्टी और सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी की जोड़ी भी क्वार्टर फाइनल में मलेशिया के आरोन चिया और सोह वूई यिक से हार गई। इससे भारतीय बैडमिंटन टीम में भी निराशा की लहर दौड़ी।
फिर भी 6 पदक: संयम और संतुलन
भले ही पेरिस ओलंपिक 2024 में अपेक्षित परिणाम प्राप्त नहीं हुए, लेकिन नीरज चोपड़ा, मनु भाकर, सरबजोत सिंह, स्वप्निल कुसाले, अमन सहरावत और भारतीय हॉकी टीम ने देश के लिए जिन 6 पदक जीते, वह गर्व का विषय है। किसी भी ओलंपिक में हर दफा पदक लाने का परिश्रम, संयम और संतुलन पूरी टीम के प्रयासों का परिणाम होता है।
आगे की राह
पेरिस ओलंपिक 2024 ने स्पष्ट रूप से दिखाया कि भारतीय खिलाड़ियों को अपनी रणनीति, तैयारी और प्रदर्शन में निरंतरता लाने की आवश्यकता है। कोचिंग स्टाफ, रणनीति और सहयोगी तंत्र को अधिक प्रभावी बनाना होगा। निकहत जरीन, लवलीना बोरगोहेन और अन्य खिलाड़ी अपने खोए हुए लय को फिर से पाने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे। अगली ओलंपिक प्रतियोगिताओं के लिए भारतीय दल को अधिक सजग और तैयार करने की आवश्यकता है।
समग्रता में, पेरिस ओलंपिक 2024 भारतीय खेल इतिहास का एक और अध्याय है, जिसमें सीखा जाए कि किस प्रकार हमें आगे बढ़ना है और अपने खिलाड़ियों की क्षमताओं को और कैसे उभारना है। आशा करते हैं कि भारतीय खेलों का भविष्य उज्जवल होगा और खिलाड़ी अगली ओलंपिक में अपनी चमक से देश का मान बढ़ाएंगे।