पेरिस ओलंपिक 2024 की समाप्ति के बाद भारतीय खेल प्रेमियों के लिए एक बड़ी निराशा की खबर आई है। भारतीय महिला पहलवान विनेश फोगाट का रजत पदक प्राप्त करने का सपना अधर में लटक गया है। कोर्ट ऑफ अर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स (CAS) ने विनेश की अपील पर फैसला लेने की समय सीमा एक बार फिर बढ़ा दी है, और अब यह फैसला 13 अगस्त को शाम 6 बजे (पेरिस समयानुसार) लिया जाएगा।
अयोग्यता के फैसले ने तोड़ी हिम्मत
विनेश फोगाट ने पिछले बुधवार को अमेरिकन पहलवान सारा हिल्डेब्रांट के खिलाफ 50 किलोग्राम भार वर्ग के फाइनल में हिस्सा नहीं लिया था। कारण था, वजन की जांच में फेल हो जाना। फाइनल की सुबह, विनेश का वजन 100 ग्राम अधिक पाया गया, जिसके बाद उन्हें कम्प्टिशन से अयोग्य ठहरा दिया गया। इस निर्णय ने विनेश के मनोबल को बहुत हानि पहुंचाई।
सीएएस का नया निर्णय
यह दूसरी बार था जब सीएएस ने समय सीमा बढ़ाई। पहले जब एडहॉक डिविजन के अध्यक्ष ने समय सीमा बढ़ाई थी, तब उम्मीद थी कि शनिवार शाम 6 बजे तक फैसला आ जाएगा। लेकिन इस बार फिर समय सीमा दो दिन और बढ़ा दी गई है। इंडियन ओलंपिक संघ (IOA) ने भी इस बारे में एक संक्षिप्त बयान में पुष्टि की।
सीएएस के नियमों के अनुसार, एडहॉक पैनल को आवेदन दाखिल करने के 24 घंटे के भीतर निर्णय देना होता है। हालांकि, विशेष परिस्थितियों में एडहॉक डिविजन का अध्यक्ष समय सीमा बढ़ा सकता है।
कभी खुशी, कभी गम
विनेश के अयोग्य ठहराए जाने के बाद, उन्होंने अपने खेल करियर पर विराम लगाने की घोषणा कर दी है। यह खबर भारतीय खेल समुदाय को बहुत दुखदाई लगी। खासकर बीजिंग ओलंपिक में स्वर्ण पदक विजेता अभिनव बिंद्रा ने इसे भारतीय खेल इतिहास का सबसे क्रूर दिन करार दिया।
अभिनव बिंद्रा की प्रतिक्रिया
आईओसी का ओलंपिक ऑर्डर अवार्ड पाने के बाद, अभिनव बिंद्रा ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि विनेश फोगाट को अयोग्य घोषित किए जाने के बाद उन्हें बहुत बुरा महसूस हुआ। उन्होने कहा, “यह बहुत ही क्रूर दिन था। मुझे विश्वास नहीं हुआ। मुझे उल्टी करने का मन कर रहा था। सुबह-सुबह किसी ने मुझे संदेश भेजा। सच कहूं तो मुझे पता नहीं था कि क्या हो रहा है। यह पागलपन था।”
खेल के नियम और मानवीय पक्ष
बिंद्रा ने यह भी कहा कि खेल नियमों और कायदों से चलता है, लेकिन मानवीय पक्ष को भी ध्यान में रखना चाहिए। उन्होंने विनेश की कठिनाइयों और उनकी वापसी की कठिन मेहनत को भी सराहा। पिछले डेढ़ साल में विनेश ने जिस प्रकार से खुद को फिट किया और क्वालिफाई किया, वह अविश्वसनीय है।
“खेल जीवन में क्रूर हो सकता है। मुझे लगता है कि यह हमारे भारतीय खेलों के इतिहास में शायद सबसे क्रूर दिन था। मुझे नहीं लगता कि ऐसा कोई और दिन हो सकता है जो इसके करीब भी आ सके।” बिंद्रा ने कहा।
फोगाट का भविष्य
विनेश फोगाट का भारतीय खेल इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान है। उनकी बेमिसाल मेहनत और जुनून को देखते हुए लोग उनके फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन उनके सेवानिवृत्ति की घोषणा ने उनके समर्थकों को निराश किया है। अपने करियर को संजीवनी देने के लिए, फोगाट का सामना अब सीएएस के निर्णय से होगा, जो आने वाले समय में उनकी खेल यात्रा को प्रभावित करेगा।
पूरे भारत और खेल जगत की निगाहें अब 13 अगस्त की शाम पर टिकी हैं, जब CAS का आखिरी निर्णय आएगा और यह देखा जाएगा कि क्या विनेश फोगाट को उनके हिस्से का रजत पदक मिलेगा या नहीं। यह दिन भारतीय खेल इतिहास में एक अहम मोड़ साबित हो सकता है।
<>