दलीप ट्रॉफी का नया फॉर्मेट
दलीप ट्रॉफी का आयोजन इस बार नए फॉर्मेट में होने जा रहा है। भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) की चयन समिति ने 4 टीमों की घोषणा की है। इन 4 टीमों में कुल 61 खिलाड़ियों का चयन किया गया है। यह टूर्नामेंट भारतीय टेस्ट टीम के चयन का आधार होगा। इस नए फॉर्मेट में जोनल फॉर्मेट का उपयोग नहीं किया जाएगा और यह बड़ा बदलाव भारतीय क्रिकेट के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
चयन न होने पर चर्चा
दलीप ट्रॉफी के 61 खिलाड़ियों की सूची में दो प्रमुख खिलाड़ियों का नाम न होना हैरानी का विषय बना हुआ है। ये दो खिलाड़ी हैं रिंकू सिंह और संजू सैमसन। घरेलू क्रिकेट में उनका प्रदर्शन शानदार रहा है, लेकिन फिर भी वे इस सूची में जगह नहीं बना पाए हैं। यह सवाल अब उठने लगा है कि क्या वे दोनों टेस्ट क्रिकेट खेलने लायक नहीं हैं?
रिंकू सिंह की क्रिकेट यात्रा
रिंकू सिंह उत्तर प्रदेश से घरेलू क्रिकेट खेलते हैं। उन्होंने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 47 मैच खेले हैं और 69 पारियों में 54.70 की औसत से 3173 रन बनाए हैं। इसमें 7 शतक और 20 अर्धशतक शामिल हैं। उन्होंने फरवरी 2024 में रणजी ट्रॉफी में आखिरी बार फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेला था, जहां उन्होंने 26 रन बनाए थे। जनवरी 2024 में केरल के खिलाफ उन्होंने 92 रन की शानदार पारी खेली थी। 2018-19 रणजी ट्रॉफी में उन्होंने कई मौकों पर उत्तर प्रदेश को जीत दिलाई और 105.88 की औसत से 953 रन बनाए थे।
संजू सैमसन के आंकड़े
संजू सैमसन 2011 से फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेल रहे हैं, जिनका घरेलू क्रिकेट में योगदान उल्लेखनीय रहा है। उन्होंने 62 मैच खेले हैं और 102 पारियों में 38.54 की औसत से 3623 रन बनाए हैं। इनमें 10 शतक और 16 अर्धशतक शामिल हैं। उनका सर्वोच्च स्कोर 211 रन है। फरवरी 2024 में उन्होंने अंतिम रणजी ट्रॉफी मैच में बंगाल के खिलाफ 8 रन बनाए थे।
चयन की प्रक्रिया पर सवाल
अगर भारतीय टीम का चयन होता तो शायद यह बात समझ में आती कि केवल 15 खिलाड़ियों का चयन करना होता है। लेकिन जब 61 खिलाड़ियों में चयन हो रहा है, तो रिंकू सिंह और संजू सैमसन का नाम न होना वाकई में सवाल खड़े करता है। क्या ये दोनों खिलाड़ी टेस्ट मैच खेलने की क्षमता नहीं रखते या क्या और कोई कारण है जिसकी वजह से उन्हें नजरअंदाज किया गया है?
घरेलू क्रिकेट में प्रदर्शन का महत्व
घरेलू क्रिकेट का प्रदर्शन हमेशा से ही भारतीय टीम के चयन के लिए महत्वपूर्ण रहा है। रिंकू और संजू के आंकड़े यह स्पष्ट करते हैं कि उन्होंने घरेलू क्रिकेट में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। रिंकू सिंह की फर्स्ट क्लास क्रिकेट में औसत 54.70 है, जो उच्चतम स्तर पर बल्लेबाजी की गुणवत्ता को दर्शाता है। वहीं संजू सैमसन ने भी अपनी प्रतिभा को प्रकट किया है और बड़े स्कोर बनाए हैं।
भविष्य के मौके
यह देखना दिलचस्प होगा कि भविष्य में रिंकू सिंह और संजू सैमसन को भारतीय टेस्ट टीम में मौका मिलेगा या नहीं। उनकी घरेलू क्रिकेट में उपलब्धियों को देखते हुए, यह कहना गलत नहीं होगा कि वे दोनों टेस्ट क्रिकेट खेलने के लिए पूरी तरह योग्य हैं। यदि चयन समिति ने कुछ अन्य मापदंडों को ध्यान में रखकर यह निर्णय लिया है, तो इसे स्पष्ट करने की जरूरत है।
निष्कर्ष
दलीप ट्रॉफी का यह नया फॉर्मेट और इसके तहत किए गए चयन ने कई सवाल खड़े किए हैं। रिंकू सिंह और संजू सैमसन जैसे प्रतिभाशाली खिलाड़ियों का नाम ड्रॉप होना वाकई हैरान करने वाला है। घरेलू क्रिकेट में उनके शानदार प्रदर्शन के बावजूद उन्हें शामिल न करना चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाता है। क्रिकेट प्रेमियों को उम्मीद है कि भविष्य में ये खिलाड़ी अपने प्रदर्शन से चयनकर्ताओं को प्रभावित कर पाएंगे और भारतीय टीम के लिए उच्चतम स्तर पर क्रिकेट खेलेंगे।