राहुल द्रविड़ का हेड कोच कार्यकाल
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व हेड कोच, राहुल द्रविड़ ने अपने कोचिंग कार्यकाल के दौरान सबसे दर्दनाक पल के बारे में खुलासा किया है। महत्वपूर्ण है कि द्रविड़ के कार्यकाल के दौरान, भारत ने वनडे वर्ल्ड कप 2023 और वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल जैसे महत्वपूर्ण मैच भी गंवाए थे, लेकिन उन्होंने इनमें से किसी को भी अपने कोचिंग करियर का सबसे खराब पल नहीं माना।
हेड कोच नियुक्ति और कार्यकाल
राहुल द्रविड़ को भारतीय क्रिकेट टीम का हेड कोच नवंबर 2021 में नियुक्त किया गया था। इसके बाद उन्होंने अपनी जिम्मेदारियों को कुशलतापूर्वक निभाया और टीम को कई अहम मुकाबलों में नेतृत्व किया। हालांकि, जब टी20 वर्ल्ड कप 2024 के बाद वो इस पद से हटे, तो उन्होंने अपने कार्यकाल के सबसे निराशाजनक पल का जिक्र किया।
सबसे दुखद पल: साउथ अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज़
द्रविड़ के मुताबिक, साउथ अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज़ गंवाना बतौर हेड कोच उनके लिए सबसे खराब पल था। यह मुकाबला उस समय हुआ जब भारतीय टीम ने सेंचुरियन में पहला टेस्ट मैच 113 रन से जीतकर दौरे की अच्छी शुरुआत की थी। इस जीत के बाद, ऐसा लग रहा था कि टीम इंडिया साउथ अफ्रीका में अपनी पहली टेस्ट सीरीज़ जीत जाएगी। लेकिन परिणाम इसके विपरीत हुआ और साउथ अफ्रीका ने तीन मैचों की टेस्ट सीरीज के अगले दो मुकाबले जीत लिए।
जीत के करीब आकर हार
द्रविड़ ने स्टार स्पोर्ट्स पर बातचीत करते हुए कहा, “अगर आप मुझसे पूछोगे कि मेरा सबसे खराब पल क्या था तो मैं कहूंगा कि मेरे करियर की शुरुआत में साउथ अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज।” उन्होंने आगे बताया, “हमने सेंचुरियन में पहला टेस्ट मैच जीता था और फिर हम दूसरे और तीसरे टेस्ट मैच में हार गए थे। जैसा कि आप जानते हैं, हमने दक्षिण अफ्रीका में कभी कोई टेस्ट सीरीज नहीं जीती है। उस सीरीज को जीतना हमारे लिए वाकई एक बड़ा मौका था। हमारे कुछ सीनियर खिलाड़ी वहां नहीं थे।”
अहम खिलाड़ियों की अनुपस्थिति
रोहित शर्मा चोटिल थे और इस सीरीज में भारतीय टीम के कुछ अन्य सीनियर खिलाड़ी भी नहीं थे। इसके बावजूद, भारतीय टीम जीत के बहुत करीब थी और दोनों टेस्ट मैचों यानी दूसरे और तीसरे टेस्ट मैच की तीसरी पारी में हमारे पास बड़ा मौका था। हम एक अच्छा स्कोर बना सकते थे और मैच जीत सकते थे, लेकिन साउथ अफ्रीका ने अच्छा खेला। उन्होंने चौथी पारी में वापसी की।
अंतिम स्कोर और निष्कर्ष
अंतिम परिणाम के अनुसार, भारत ने 3 मैचों की इस टेस्ट सीरीज़ को 1-2 से गंवा दिया था। यह हार द्रविड़ के लिए बहुत ही निराशाजनक रही और उन्होंने इसे अपने कोचिंग करियर का सबसे खराब पल माना।
द्रविड़ का मानना है कि यह हार इसलिए भी दर्दनाक थी क्योंकि टीम मैच जीतने के करीब थी और उन्होंने अच्छा खेल दिखाया था। लेकिन फिर भी, सफलता से चूक गई और यह उनके ज्यादा उम्मीदों को तोड़ने वाला साबित हुआ।
उन्होंने समझाया कि उनकी टीम ने कई मुश्किल परिस्थितियों का सामना किया और कुछ अहम खिलाड़ी नहीं थे, फिर भी प्रदर्शन आशाजनक रहा। इसलिए, इस हार ने उनके कोचिंग कार्यकाल के सबसे दर्दनाक पल के रूप में उनकी यादों में जगह बना ली है।
इस प्रकार, राहुल द्रविड़ ने अपने अनुभवों के माध्यम से यह स्पष्ट किया कि सफलता की परिभाषा हमेशा से केवल जीत तक सीमित नहीं होती। खिलाड़ियों की प्रस्तुतियां, टीमवर्क, और उन कठिन परिस्थितियों का सामना करने वाला जज्बा भी महत्वपूर्ण होता है। और यही कारण है कि एक हार विशेष रूप से कटु हो सकती है, जब आप जीत के बहुत करीब हों।