अनोखी सार्वभौमिकता: छोटे देश, बड़ी जीत
विश्व एथलेटिक्स की अद्वितीय सार्वभौमिकता शनिवार रात (3 अगस्त 2024) को तब प्रदर्शित हुई, जब अंतरराष्ट्रीय महासंघ के दो सबसे छोटे देश ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेताओं की श्रेणी में शामिल हो गए। डोमिनिका (जनसंख्या 73,000) और सेंट लूसिया (जनसंख्या 180,000) अब ओलंपिक चैंपियन होने का दावा कर सकते हैं। यह उल्लेखनीय है कि जनसंख्या के मामले में, डोमिनिका ओलंपिक पदक जीतने वाला अब तक का सबसे छोटा देश है।
100 से अधिक देशों का ओलंपिक मंच
एथलेटिक्स में अब ओलंपिक पदक जीतने वाले 100 से अधिक देश शामिल हो चुके हैं। तीन साल पहले टोक्यो में बुर्किना फासो ने एथलेटिक्स में पदक जीतने वाला 100वां देश बनने का गौरव प्राप्त किया था। अन्य छोटे देशों में कैरेबियाई द्वीप ग्रेनाडा (जनसंख्या 125,000) और बहामास (जनसंख्या 410,000) भी शामिल हैं, जिन्होंने एथलेटिक्स में शानदार उपलब्धियां हासिल की हैं।
बहामास का अभूतपूर्व प्रदर्शन
बहामास ने अपनी जनसंख्या के अनुपात में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। बहामास ने अब तक 7 ओलंपिक स्वर्ण पदक जीते हैं। पहली बार बहामास के लिए ओलंपिक गोल्ड मेडल (200 मीटर) जीतने वाली स्प्रिंटर पॉलीन डेविस थी, जिन्होंने सिडनी 2000 में विजेता 4×100 मीटर रिले टीम का हिस्सा भी थीं। उन्होंने टोक्यो ओलंपिक में 400 मीटर चैंपियन शाउने मिलर-उइबो और स्टीवन गार्डिनर की मदद से दो स्वर्ण पदक भी जीते थे।
लग्जमबर्ग और किम कोलिन्स की सफलता
20वीं सदी में ट्रैक पर ओलंपिक स्वर्ण जीतने वाले सबसे छोटे देशों में से एक लग्जमबर्ग था। 1952 ओलंपिक में 1500 मीटर रेस में लग्जमबर्ग के जोसेफ बार्टेल चैंपियन बने थे। पेरिस के स्टेड डि फ्रांस ने भी छोटे देशों के लिए एक स्वागत योग्य स्थान बना लिया है, जहां सेंट किट्स एंड नेविस (जनसंख्या 47,000) के किम कोलिन्स ने 2003 विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 100 मीटर की रेस जीती थी।
छोटे देशों की सफलता का अधिक प्रभाव
ओलंपिक में सफलता का इन देशों पर उन खेल दिग्गज देशों की तुलना में कहीं ज्यादा प्रभाव पड़ता है। पेरिस ओलंपिक में ट्रिपल जम्प की गोल्ड मेडलिस्ट थिया लाफॉन्ड (डोमिनिका) और 100 मीटर रेस की स्वर्ण पदक विजेता जूलियन अल्फ्रेड (सेंट लूसिया) को उम्मीद है कि उनका प्रदर्शन उनके देशों में एथलेटिक्स के लिए परिवर्तनकारी होगा।
जूलियन अल्फ्रेड का स्वर्णिम सपना
जूलियन अल्फ्रेड ने 100 मीटर में स्वर्ण पदक जीतने के बाद कहा था, ‘यह मेरे लिए, मेरे कोच और मेरे देश के लिए बहुत मायने रखता है। मुझे यकीन है कि मेरा देश अब जश्न मना रहा है। बड़े होते हुए, मैं मैदान पर संघर्ष करती रहती थी। बिना जूतों के नंगे पैर दौड़ती, स्कूल यूनिफॉर्म में दौड़ती, हर जगह दौड़ती। मुझे उम्मीद है कि यह स्वर्ण पदक सेंट लूसिया को एक नया स्टेडियम बनाने में मदद करेगा, जिससे खेल को बढ़ावा मिलेगा।’
थिया लाफॉन्ड की प्रेरणादायक छलांग
ट्रिपल जम्प जीतने के लिए 15.02 मीटर की रिकॉर्ड छलांग लगाने वाली थिया लाफॉन्ड ने इस साल दो विश्व चैंपियनशिप में डोमिनिका को पोडियम पर शीर्ष पर पहुंचाया है। इसकी शुरुआत मार्च में ग्लासगो में विश्व इनडोर खिताब से हुई थी। थिया लाफॉन्ड ने कहा, ‘हम यहां हैं, ओलंपिक चैंपियन! डोमिनिका का पहला पदक, यह स्वर्ण है। इनडोर पहला पदक था, यह स्वर्ण है। क्या साल, क्या जीवन, हे भगवान, वाह।’
भविष्य की उम्मीदें और नया युग
थिया लाफॉन्ड को भी उम्मीद है कि उनकी जीत से उनके देश में उनके बाद आने वाले युवा एथलीट्स को अधिक पहचान और बेहतर सुविधाएं मिलेंगी। उन्होंने जीत के बाद कहा, ‘हम बुनियादी बातों से शुरू करेंगे। हम लगभग 70,000 लोग हैं। यह कैरेबियन में एक खूबसूरत रत्न हैं। हमारे पड़ोसियों में सेंट लूसिया, बारबाडोस भी शामिल है। हमारी प्राथमिक भाषा अंग्रेजी है और अब हमारे पास ओलंपिक स्वर्ण पदक है।’
थिया लाफॉन्ड ने कहा, ‘हम स्वर्ण के साथ आगे बढ़ रहे हैं। कभी-कभी आपको आश्चर्य होता है कि क्या छोटे देश का मतलब है कि आपके पास संसाधनों तक कम पहुंच है, लेकिन हम मात्रा से ज्यादा गुणवत्ता पर ध्यान देते रहे हैं।’ उन्होंने अपनी सरकार से एथलेटिक्स ट्रैक बनाने के लिए अभियान भी शुरू कर दिया, ताकि अगली पीढ़ी को एथलेटिक्स में सफल होने में मदद मिल सके।
डोमिनिका में एक स्टेडियम है, लेकिन कोई ट्रैक नहीं है। सबसे बड़ी समस्या इस ट्रैक के लिए भूमि आवंटन प्राप्त करना है। थिया लाफॉन्ड ने उम्मीद जताई कि यह पदक उनके देश के सरकारी अधिकारियों के मन में इच्छा जगाएगा और भविष्य में खेल गतिविधियों को बढ़ावा देगा।