सागर और अमन का गहरा रिश्ता

रक्षाबंधन के इस अवसर पर, जब पूरा देश एक-दूसरे के साथ अपने भाई-बहन के पवित्र बंधन को मना रहा था, पेरिस ओलंपिक में पदक जीतने वाले भारत के इकलौते पहलवान अमन सहरावत अपने सीनियर साथी और मित्र सागर फलसवाल के घर झज्जर के मुंडा खेड़ा गांव में थे। सागर की बहन प्रियंका ने रक्षाबंधन के रुप में अमन और सागर दोनों की कलाई पर राखी बाँधी। इस मौके पर दोनों ने घर के बने खाने, जिसमें दाल, रोटी, सब्जी और चूरमा था, का आनंद लिया।

अमन सहरावत की ओलंपिक यात्रा

21 वर्षीय अमन ने इस महीने की शुरुआत में प्यूर्टो रिको के डेरियन क्रूज को हराकर कांस्य पदक जीता और भारत के सबसे कम उम्र के ओलंपिक पदक विजेता बन गए। जीत के बाद, अमन ने तुरंत ही अपने सीनियर साथी सागर फलसवाल के प्रति आभार व्यक्त किया, जो हजारों किलोमीटर दूर छत्रसाल स्टेडियम के एक छोटे से कमरे में बैठकर अपने मोबाइल फोन पर अमन के रेपेचेज मुकाबले को देख रहे थे।

सागर फलसवाल का योगदान

अमन का कहना है कि उनकी सफलता में सागर का बहुत बड़ा योगदान है। अमन के अनुसार, “सागर जितनी मदद शायद सगा भाई भी नहीं करता। सागर हमारे 10 साल पुराने रिश्ते को ‘भगवान की बनाई जोड़ी’ कहते हैं।” दोनों की पहली मुलाकात छत्रसाल में हुई थी, जब अमन ने अपने माता-पिता दोनों को खो दिया था।

अमन की पारिवारिक त्रासदी

अमन के छत्रसाल से जुड़ने के कुछ हफ्ते बाद ही उनके पिता का भी निधन हो गया। उस वक्त अमन सिर्फ 10 साल के थे और वह छत्रसाल अखाड़े में 20 अन्य युवा पहलवानों के साथ एक कमरा शेयर करते थे। वहां उन्हें सागर जैसा मेंटर मिला, जिन्होंने उनका हर कदम पर साथ दिया। सागर ने उनकी समस्याओं का समाधान किया, चाहे वह आर्थिक समस्या हो या तकनीकी। वे उनके लिए भाई से भी बढ़कर थे।

अखाड़े में सागर का समर्थन

अमन की ओलंपिक कांस्य पदक की शानदार जीत के बाद भी सागर ही वह व्यक्ति थे, जिनके पास अलमारी की उस दराज की चाबियां थीं, जिसमें अमन का कांस्य पदक रखा हुआ था। सागर ने अमन की देखभाल की और उन्हें यह एहसास दिलाया कि उन्हें अखाड़े में एक बड़े भाई की जरूरत थी। सागर का कहना है कि अमन हमेशा से ही एक बहुत अच्छे इंसान रहे हैं, और उन्होंने कभी झूठ नहीं बोला।

सागर की प्रतिक्रिया

अमन के पोडियम पर खड़ा होने के पल को सागर अपने जीवन का सबसे खुशी का पल मानते हैं। सागर ने कहा, “जब वह पोडियम पर थे, तो मेरा दिल खुशी और गर्व से भर गया।” उन्होंने अमन को जीत के तुरंत बाद यह भी कहा कि उन्हें स्वर्ण पदक जीतना चाहिए था, लेकिन वह उस पल की प्रतिक्रिया थी। सागर को ऐसा महसूस हुआ जैसे उन्होंने खुद ओलंपिक पदक जीत लिया हो।

अमन की सफलता के पीछे सागर का विश्वास

सागर ने कहा कि अमन के पहले ओलंपिक के परिणाम को लेकर उन्हें काफी चिंता थी, और उनके पदक जीतने के बाद ही वे रात को चैन से सो पाए। उनका समर्पण और विश्वास अमन की सफलता के पीछे की मुख्य ताकत थी। सागर ने अपने अनुभव और मार्गदर्शन से अमन को ना केवल एक अच्छा खिलाड़ी बनाया, बल्कि उन्हें मानसिक और भावनात्मक समर्थन भी दिया।

संघर्ष और जीत

दोनों पहलवानों की कहानी संघर्ष और सहयोग की है। अमन की बचपन की पारिवारिक समस्याएं और एक प्रसिद्ध अखाड़े में अपने पांव जमाने की चुनौती, सागर के मार्गदर्शन और साहस के कारण ही संभव हो पाई। सागर ने यह सुनिश्चित किया कि अमन किसी भी कठिनाई के बावजूद कभी हार न माने और हमेशा आगे बढ़ते रहें।

मित्रता और परिवार

आज अमन एक ओलंपिक पदक विजेता हैं, लेकिन उनकी सफलता में सागर का अद्वितीय योगदान है। यह कहानी केवल खेल और जीत की नहीं है, बल्कि दो लोगों के बीच गहरे दोस्ती और भाईचारे की है। सागर और अमन की कहानी ने यह साबित कर दिया है कि सही मार्गदर्शन और सहयोग से कोई भी चुनौती पार की जा सकती है।

इस तरह, अमन सहरावत और सागर फलसवाल की यह कहानी हमें यह सिखाती है कि संघर्ष, सहयोग और समर्पण से ही महानता प्राप्त होती है। दोनों की मित्रता और भाईचारा एक उदाहरण है, जिससे हम सबको प्रेरणा मिलती है।

By IPL Agent

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