सेमीफाइनल की हार

भारतीय रेसलर अमन सेहरावत ने गुरुवार को पेरिस ओलंपिक में 57 किलोग्राम वेट कैटेगरी का सेमीफाइनल मैच खेला जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा। यह मुकाबला जापानी रेसलर रेई हिगुची के खिलाफ था, जिसमें अमन 0-10 से हारे। हालांकि, इस हार से उनकी मेडल की उम्मीद पूरी तरह खत्म नहीं हुई है क्योंकि अभी भी उनके पास ब्रॉन्ज मेडल जीतने का मौका मौजुद है।

प्रतिद्वंद्वी की शक्ति

जापान के रेई हिगुची के खिलाफ यह मैच अमन के लिए काफी चुनौतीपूर्ण था। रेई इस वेट कैटेगरी में शीर्ष वरीयता प्राप्त खिलाड़ी हैं। उन्होंने रियो ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीता था। हालांकि, टोक्यो ओलंपिक में वे भाग नहीं ले पाए थे क्योंकि उनका वजन अधिक था। हिगुची की तकनीकी विशेषज्ञता और फुर्तीले मूव्स ने अमन के लिए मुकाबला कठिन बना दिया।

पहले राउंड की जीत

इससे पहले, अमन का मुकाबला उत्तर मैसेडोनिया के प्रतिद्वंद्वी व्लादिमीर इगोरोव से हुआ था। वह अपने इस प्रभावशाली प्रदर्शन के बूते क्वार्टर फाइनल में पहुंचे। मुकाबले के दौरान अमन ने अपनी फुर्ती का पूरा उपयोग किया और साथ ही अपने डिफेंस को मजबूत रखा। इसके परिणामस्वरूप, उन्होंने इगोरोव पर तकनीकी दक्षता के आधार पर 10-0 से जीत हासिल की।

क्वार्टर फाइनल की सफलता

एशियाई चैंपियनशिप के गोल्ड मेडल विजेता और ओलंपिक के लिए क्वालिफाई करने वाले देश के एकमात्र पुरुष पहलवान अमन ने क्वार्टर फाइनल में अबाकारोव पर आसानी से जीत दर्ज़ की। पहले राउंड में अबाकारोव की ‘पैसिविटी’ यानी निष्क्रियता के कारण एक अंक और फिर ‘टेक डाउन’ से दो अंक हासिल किये। इसके साथ ही अमन ने यह मुकाबला आसानी से अपने नाम कर लिया।

अंतिम मौका: ब्रॉन्ज मेडल

अब अमन सेहरावत के पास महिलाओं की ब्रॉन्ज मेडल जीतने का अंतिम मौका है। हालांकि सेमीफाइनल की हार ने स्वर्ण पदक की उम्मीदें कम कर दी हैं, फिर भी ब्रॉन्ज मेडल की पराजय एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी। इसे हासिल करने के लिए उन्हें अपने तूफानी प्रदर्शन और तकनीकी दक्षता का प्रदर्शन करना होगा। ब्रॉन्ज मेडल मैच में उनकी मेहनत और बढ़िया तैयारी ही उन्हें सफलता दिला सकती है।

रेसलिंग का भविष्य

अमन सेहरावत की यह हार केवल एक मैच की हार नहीं है, बल्कि भारतीय रेसलिंग का एक महत्वपूर्ण आंकलन भी बनती है। भारत के पास हमेशा से ही रेसलिंग में मजबूत पहचान रही है और अमन जैसे खिलाड़ी इस मान्यता को और मजबूत करने का काम करते हैं। उनकी मेहनत, समर्पण और जज्बे की कहानी युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बन सकती है।

पारिवारिक समर्थन और कठिनाईयां

अमन सेहरावत की इस यात्रा में उनके परिवार का सहयोग और समर्थन भी अहम भूमिका निभाता है। अपनी कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना करते हुए, अमन ने ओलंपिक तक की यात्रा तय की है। उनकी घरवाले हमेशा उनके साथ खड़े रहे हैं और उनके संघर्ष को सराहा है।

आने वाले मुकाबले

अब सभी की निगाहें अमन के ब्रॉन्ज मेडल मैच पर टिकी हैं। यह मुकाबला न केवल उनके करियर के लिए बल्कि भारतीय रेसलिंग की पहचान के लिए भी महत्वपूर्ण है। अमन को अपनी तकनीकी और व्यक्तिगत शक्तियों का उपयोग करते हुए इस चुनौती को पार करना होगा।

समर्पण और उम्मीद

अमन सेहरावत के संघर्ष और उनकी कठिनाइयों को देखकर यही कहा जा सकता है कि वह एक सच्चे योद्धा हैं। उनकी यह लड़ाई न केवल उनके व्यक्तिगत करियर के लिए बल्कि पूरी भारतीय रेसलिंग धारा के लिए भी एक प्रेरणा का स्रोत है। सभी भारतीय उम्मीद कर रहे हैं कि अमन अपनी क्षमता को साबित करेंगे और देश को गर्वित करेंगे।

इस प्रकार, पेरिस ओलंपिक में उनका यह सफर भारतीय रेसलिंग के भविष्य को उज्जवल बना सकता है। सेन्यर्मूलकता, समर्पण और धैर्य की ये कहानी निश्चित ही युवाओं को प्रेरणा देगी और देश को गर्व के क्षण प्रदान करेगी।

By IPL Agent

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