दिल्ली प्रीमियर लीग 2024 में ईस्ट दिल्ली राइडर्स शानदार प्रदर्शन कर रही है। वह दिल्ली प्रीमियर लीग की अंक तालिका में शीर्ष पर बनी हुई है। उसने अब तक 7 मैच खेले हैं और 6 में जीत हासिल की है। ईस्ट दिल्ली राइडर्स 12 अंक के साथ शीर्ष पर है। इस टीम के गेंदबाज हिमांशु चौहान ने भी टीम के सभी मैचों में हिस्सा लिया है और इसमें उन्होंने अब तक 20 ओवर गेंदबाजी की है, 9.95 की इकॉनमी तथा 33.17 के औसत से 6 विकेट लिए हैं।
हिमांशु चौहान की प्रेरणा और लक्ष्य
हिमांशु चौहान ने एक न्यूज चैनल से बातचीत में बताया कि उनका अगला लक्ष्य क्या है। हिमांशु चौहान ने बताया, “मेरा सपना है कि मैं इंडिया के लिए एस्टेब्लिश बॉलर बनूं। जैसे जसप्रीत बुमराह भईया हैं, मोहम्मद शमी भईया हैं, सिराज भईया हैं, वैसे ही मेरा नाम हो, ताकि देश को जब जरूरत हो, तो मैं वहां प्रदर्शन कर पाऊं और मैच जिता सकूं।”
खुद पर विश्वास और उसकी ताकत
आपकी ताकत क्या है, के सवाल पर हिमांशु ने जवाब दिया, “मेरी ताकत यह है कि मैं अपने ऊपर भरोसा करता हूं। मैं सोचता हूं कि मैं दुनिया का बेस्ट बॉलर हूं। अगर मेरे सामने विराट भईया हों, रोहित भईया हों… तो मैं उनको भी बॉल डालने में कोई झिझक नहीं करूंगा और अपने बेस्ट ही दूंगा, क्योंकि बॉल अच्छा होता है, बॉलर नहीं। अगर आप अच्छा बॉल फेंकेंगे तो आपको रिजल्ट मिलेगा। यदि प्लेयर यह देखेगा कि सामने कौन खेल रहा है तो कुछ होगा नहीं, इसलिए अपना काम करें और खुद पर भरोसा रखें।”
हार्दिक पंड्या के साथ नेट प्रैक्टिस
बातचीत के दौरान हिमांशु ने बताया कि हार्दिक पंड्या जब गुजरात टाइटंस के कप्तान थे, तब वह टीम के नेट बॉलर थे। नेट बॉलिंग के दौरान किस-किस बल्लेबाज के लिए लगा कि वे अच्छी गेंदों पर भी लंबे-लंबे शॉट लगाते हैं, इस सवाल पर हिमांशु ने बताया, “हां, मुझे अब भी याद है। पहली बार हार्दिक भईया बैटिंग पर आए, मैं बॉल डाल रहा था। मैंने शॉर्ट बॉल डाली। तब हार्दिक भईया ने कहा- आजा आज 6 बॉल, 16 रन। तो उस समय ओपन नेट्स चल रहे थे। मैंने शुरुआत की तीन बॉल यार्कर मांगी। वह तीन बॉल में तीन रन ही पाए। चौथी बॉल मैंने लेंथ की। बहुत अच्छी गेंद थी, लेकिन भईया ने इतना तेज शॉट लगाया, गेंद सीधा स्टैंड में जाकर गिरी।”
संस्कार और सीख
हिमांशु ने बताया, “यह देखकर मेरे पास नेहरा (आशीष) सर आए। उन्होंने बताया कि जब तेरा यार्कर अच्छा चल रहा है तो क्यों लेंथ बॉल डाल रहा है? इसके बाद मैंने फिर यार्कर मारी। उस दिन मैंने भईया (हार्दिक) को 16 रन नहीं बनाने दिए। मुझे इतनी खुशी हुई। सबने मेरी बहुत सराहना की… तो मुझे लगा कि हां… मैं इतने बड़े प्लेयर को रोक सकता हूं। इसलिए मैं खुद पर भरोसा करता हूं।”
हिमांशु चौहान के इस आत्मविश्वास और सख्त मेहनत ने उन्हें दिल्ली प्रीमियर लीग में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाया है। उन्होंने अपने प्रेरणा स्रोतों से सीखा और अपनी गलती से सुधार किया। हिमांशु का यह दृष्टिकोण और मजबूत करने का संकल्प उन्हें भारत की राष्ट्रीय टीम में एक स्थान दिला सकता है।
ईस्ट दिल्ली राइडर्स की सफलता में योगदान
ईस्ट दिल्ली राइडर्स की सफलता में हिमांशु चौहान का बड़ा योगदान है। उन्होंने अपने स्मार्ट बॉलिंग और सटीक योजना से टीम को महत्वपूर्ण मैच जीतने में मदद की है। उनका यह आत्मविश्वास और समर्पण टीम को दृढ़ता और साहस से भर देता है। हिमांशु चौहान का यह प्रयास न केवल उनके करियर को प्रगति देगा, बल्कि भारतीय क्रिकेट के भविष्य को भी उज्ज्वल बनाएगा।
आखिरकार, क्रिकेट के प्रति समर्पण
हिमांशु चौहान की कहानी उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो क्रिकेट को अपना करियर बनाना चाहते हैं। उनकी मेहनत, उनके सिद्धांत, और क्रिकेट के प्रति उनका समर्पण वास्तव में काबिले तारीफ है। हिमांशु जानते हैं कि खुद पर विश्वास और लगातार मेहनत ही उनके सपनों को साकार कर सकती है।
ईस्ट दिल्ली राइडर्स की सफलता में हिमांशु चौहान का महत्वपूर्ण योगदान और उनकी आगे की यात्रा निश्चित रूप से देखने योग्य होगी। अगर उनके इस आत्मविश्वास और मेहनत का सिलसिला ऐसे ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब हम हिमांशु चौहान को भारतीय टीम के जर्सी में देख सकेंगे। हिमांशु की इस प्रेरणादायक कहानी ने यह साफ कर दिया है कि सपनों को साकार करने के लिए हमें सिर्फ खुद पर विश्वास और कठोर मेहनत की जरूरत है।