पेरिस ओलंपिक 2024 में विनेश फोगाट की दुखद यात्रा

गोल्ड की उम्मीदें और देश का सपना

पेरिस ओलंपिक 2024 में विनेश फोगाट के साथ जो कुछ भी हुआ उससे दुखद शायद ही कुछ हो सकता है। पूरा देश गोल्ड मेडल जीतने की उम्मीद में था, लेकिन अचानक आई एक खबर ने हर दिल को तोड़ दिया और सभी को गम में डुबो दिया। 50 किलोग्राम महिला फ्रीस्टाइल इवेंट में विनेश फोगाट फाइनल में पहुंच गईं थीं और कम से कम सिल्वर मेडल उनकी झोली में पक्का था, लेकिन सबकी उम्मीदें गोल्ड जीतने की भी थीं।

पहली महिला रेसलर

विनेश फोगाट ओलंपिक इतिहास के इस इवेंट में फाइनल में पहुंचने वाली देश की पहली महिला पहलवान थीं। यह उनके करियर का एक बड़ा मील का पत्थर था और पूरे देश ने इसे गर्व की नज़रों से देखा। लेकिन किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया और फाइनल मुकाबले से पहले किए गए वजन में उनका वेट सिर्फ 100 ग्राम ज्यादा निकला। इस छोटी सी गलती ने उन्हें इस इवेंट के लिए अयोग्य घोषित कर दिया।

स्वास्थ्य में आई अचानक गड़बड़ी

विनेश को जब अयोग्य घोषित किया गया, तो वह इस सदमे को सहन नहीं कर पाईं। उनका स्वास्थ्य तेजी से बिगड़ा और उन्हें तत्काल अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा। यह संयोग ही शायद इतना दर्दनाक था कि उन्हें लगातार तीसरे ओलंपिक में भी खाली हाथ रहना पड़ा। यह एक बड़ा झटका था, न सिर्फ उनके लिए बल्कि उनके फैन्स और पूरे देश के लिए।

रियो 2016: पहली बार का अनुभव

विनेश फोगाट ने पहली बार 2016 में रियो डी जनेरियो में आयोजित ओलंपिक में हिस्सा लिया था। अपने पहले ओलंपिक में वह 48 किलोग्राम भारवर्ग में प्रतिस्पर्धा करती थीं। उस वक्त वह 10वें स्थान पर रही थीं। इस पहले प्रयास में वह देश के लिए कोई मेडल नहीं जीत पाईं। हालांकि, उनकी मेहनत और संकल्पशीलता ने उन्हें कभी हार मानने नहीं दी।

टोक्यो 2020: दूसरा अवसर

दूसरी बार विनेश ने 2020 टोक्यो ओलंपिक में हिस्सा लिया। इस बार उन्होंने 53 किलोग्राम भारवर्ग में प्रतिस्पर्धा की। उनके प्रयास बेहतरीन थे, लेकिन किस्मत ने एक बार फिर साथ नहीं दिया और उनका सफर 9वें स्थान पर समाप्त हो गया। यह निराशाजनक था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी तैयारियों को और मजबूत किया।

पेरिस 2024: एक कदम आगे और फिर…

2024 पेरिस ओलंपिक में विनेश फोगाट ने सभी उम्मीदों को पीछे छोड़ते हुए फाइनल तक का सफर तय किया। ऐसा लग रहा था कि इस बार किस्मत उनके साथ होगी। लेकिन, फाइनल मुकाबले से पहले वजन के दौरान सिर्फ 100 ग्राम का अंतर उनकी अयोग्यता का कारण बना। यह एक छोटी सी गलती उनके और देश के लिए बड़ी निराशा बन गई।

निष्कर्ष

विनेश फोगाट की ओलंपिक यात्रा एक प्रेरणादायक और दुखद कहानी है। उनके संघर्ष, मेहनत और संकल्पशीलता की प्रशंसा करना पर्याप्त नहीं होगा। उन्होंने ना सिर्फ खुद को, बल्कि पूरे देश को गर्व महसूस कराया। उनकी कहानी उन सभी के लिए एक प्रेरणा है जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए हर मुश्किल का सामना करने के लिए तैयार हैं। भारतीय खेल इतिहास में उनका नाम सदा के लिए दर्ज रहेगा और आशा है कि भविष्य में वह और भी ऊंचाइयों पर पहुँचेंगी।

By IPL Agent

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