विनेश फोगाट का अद्वितीय प्रदर्शन
पेरिस ओलंपिक 2024 के मंच पर मंगलवार, 6 अगस्त को भारतीय रेसलर विनेश फोगाट ने वुमेंस रेसलिंग 50 किलोग्राम इवेंट में अपनी असाधारण क्वालिटी का प्रदर्शन करते हुए वर्ल्ड चैंपियन और डिफेंडिंग चैंपियन यूई सुसाकी को हराकर नए इतिहास की रचना कर दी। यह मुकाबला मात्र एक जीत से अधिक था; यह एक ऐसी कहानी है जो प्रेरणा और संघर्ष से भरी हुई है।
कड़ी चुनौती के बीच विनेश की जीत
यूई सुसाकी को हराकर विनेश फोगाट ने न केवल एक व्यक्तिगत सफलता हासिल की, बल्कि वह जापान की यूई सुसाकी को मात देने वाली दुनिया की पहली रेसलर बन गईं। सुसाकी, जो इससे पहले लगातार 82 मैच जीते चुकी थीं, एक अजेय सीरीज पर थीं। बॉउट के दौरान विनेश शुरुआत में पॉइंट खोकर 0-2 से पीछे चल रही थीं। लेकिन विनेश के दृढ़ संकल्प और अंतिम 20 सेकंड में अद्वितीय प्रदर्शन ने चौंकाते हुए मुकाबला 3-2 के स्कोर से अपने नाम कर लिया।
क्वार्टर फाइनल सेमीफाइनल तक का रास्ता
इस शानदार जीत के बाद, विनेश फोगाट ने पेरिस ओलंपिक में क्वार्टर फाइनल में यूक्रेन की उक्साना लिवाच को हराकर सेमीफाइनल में जगह बनाई। अब उनका सामना क्यूबा की लोपेज गजमन से होगा। यह ध्यान देने योग्य है कि लोपेज गजमन ने 2019 यूरोपीय चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता था। विनेश का यह तीसरा ओलंपिक है; उन्होंने 2016 रियो ओलंपिक में डेब्यू किया था, जहां वह महिलाओं की 48 किग्रा फ्रीस्टाइल कैटेगरी में थीं।
पिछले संघर्ष और चोट से वापसी
विनेश फोगाट का ओलंपिक करियर संघर्ष से भरा रहा है। 2016 में रियो ओलंपिक के दौरान घुटने की चोट के चलते उन्हें क्वार्टर फाइनल मुकाबले से हटना पड़ा था। टोक्यो 2021 में, उन्होंने 53 किलोग्राम कैटेगरी में प्रतिस्पर्धा की, लेकिन क्वार्टर फाइनल तक ही पहुंच पाईं। पिछले ओलंपिक में, वह 53 किलोग्राम में प्रतिस्पर्धा कर रही थीं, लेकिन इस बार उन्होंने वजन घटाकर 50 किलोग्राम कैटेगरी में उतरीं।
सुसाकी की अद्वितीय सफलता
यूई सुसाकी का सामना करना विनेश फोगाट के लिए एक बड़ी चुनौती थी। 25 वर्षीय जापानी रेसलर ने टोक्यो ओलंपिक में बिना एक अंक गंवाए स्वर्ण पदक जीता था और पिछले 14 वर्षों में एक भी मैच नहीं हारा था। सुसाकी के पास ओलंपिक में एक गोल्ड, वर्ल्ड चैंपियनशिप में 5 गोल्ड और एशियन चैंपियनशिप में 2 गोल्ड मेडल हैं।
आगे का रास्ता
विनेश की इस शानदार जीत के बाद उनके सेमीफाइनल मुकाबले को लेकर उम्मीदें और भी बढ़ गई हैं। सभी की निगाहें उनके और क्यूबा की लोपेज गजमन के बीच होने वाले मुकाबले पर हैं। अब तक के ओलंपिक सफर में विनेश की यह जीत उनके करियर की सबसे बड़ी उपलब्धियों में गिनी जा रही है।
निष्कर्ष
यह जीत न केवल विनेश फोगाट के लिए एक व्यक्तिगत सफलता है, बल्कि भारतीय रेसलिंग के लिए भी गर्व का क्षण है। विनेश ने कठिनाइयों और संघर्षों का सामना करते हुए इस पायदान तक पहुँचने का लंबा सफर तय किया है। उनका यह प्रदर्शन युवाओं के लिए प्रेरणादायक है और भारतीय महिला रेसलिंग के लिए एक नई दिशा उद्धारित कर रहा है।