प्रारंभिक सफर
पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत की स्टार शूटर मनु भाकर का ऐतिहासिक सफर शनिवार (3 अगस्त) को समाप्त हो गया। 25 मीटर पिस्टल इवेंट में ‘बुलेट क्वीन’ मेडल नहीं जीत पाईं। हालांकि, उन्होंने दो मेडल जीतने के साथ-साथ एक ही ओलंपिक में 3 फाइनल में जगह बनाकर पहले ही इतिहास रच दिया था। महिलाओं की 25 मीटर पिस्टल इवेंट में मनु चौथे स्थान पर रहीं।
पहला मेडल: 10 मीटर एयर पिस्टल
पेरिस खेलों में मनु ने 10 मीटर एयर पिस्टल में कांस्य पदक जीता था। इस पदक से भारत का खाता खुला था। इस महत्वपूर्ण जीत ने मनु को भारतीय खेल इतिहास में एक खास स्थान दिलाया और उन्होंने आगे के लिए प्रेरित किया।
दूसरा मेडल: 10 मीटर मिक्सड टीम
इसके बाद 10 मीटर मिक्सड टीम ब्रॉन्ज मेडल इवेंट में सरबजोत सिंह के साथ उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल जीता। यह भारत की टीम के लिए एक और गर्व का क्षण था। इन उपलब्धियों के साथ ही भारत ने तीन पदक जीते हैं और तीनों ही पदक शूटिंग में मिले हैं। पेरिस खेलों में शूटिंग में एक और मेडल स्वप्निल कुसाले ने गुरुवार को 50 मीटर राइफल थ्री-पोजिशन में कांस्य पदक जीता।
मनु की विशिष्टता
मनु एक खेल में 2 मेडल जीतने वालीं भारत की तीसरी एथलीट बन गई हैं। उनसे पहले ऐसा बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधु और पहलवान सुशील कुमार कर चुके हैं। मनु ने यह साबित कर दिया कि भारतीय खिलाड़ियों में भी विश्व स्तर पर मजबूती से खड़ा होने की क्षमता है।
पहली एथलीट एक ही ओलंपिक में दो मेडल जीतने वाली
मनु एक ही ओलंपिक में दो मेडल जीतने वालीं भारत की पहली एथलीट बन गई हैं। यह उपलब्धि सिर्फ पुरुष और महिला खिलाड़ियों में ही नहीं, बल्कि ओलंपिक के इतिहास में ही एक नई कहानी लिखती है।
हैट्रिक का सपना
मनु से पहले पीवी सिंधु भी हैट्रिक से चूक गई थीं। 2016 और 2021 ओलंपिक में मेडल जीतने के बाद 2024 में उनके पास हैट्रिक का मौका था, लेकिन ऐसा हो नहीं सका। अब मनु भी हैट्रिक नहीं लगा पाईं, लेकिन उनकी उपलब्धियों ने उनके नाम को आवाज दी है।
युवा खिलाड़ी और आदर्श
शटलर पीवी सिंधु के बाद ओलंपिक पदक जीतने वाली दूसरी सबसे कम उम्र की भारतीय एथलीट मनु भाकर शीर्ष भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा और सिंधु को अपने आदर्श मानती हैं क्योंकि उन्होंने ‘खुद को साबित किया है।’
टोक्यो ओलंपिक की वापसी
मनु ने टोक्यो में अपने ओलंपिक सफर की शुरुआत की थी। तब उनका प्रदर्शन काफी खराब रहा था और उनके पिस्टल ने उन्हें धोखा दे दिया था। 3 साल बाद, पेरिस में, मनु ने अपनी मेहनत और धैर्य के बल पर शानदार प्रदर्शन किया और पूरे देश को गौरववान्वित किया।
मनु का योगदान
पेरिस ओलंपिक 2024 में मनु भाकर ने अपने श्रेष्ठ प्रदर्शन और कठिनाइयों से जूझते हुए जो उपलब्धियां हासिल की हैं, वह न केवल भारतीय खेलों के विकास में एक मील का पत्थर है बल्कि आने वाली युवा पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत भी। उनकी सफलता ने भारतीय खिलाड़ियों में एक नए आत्मविश्वास का संचार किया है।
समापन
मनु भाकर की इस ऐतिहासिक यात्रा ने उन्हें न केवल ‘बुलेट क्वीन’ का खिताब दिलाया बल्कि पूरी दुनिया में उनकी प्रतिष्ठा को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया। पेरिस ओलंपिक 2024 में उनकी इस अप्रतिम प्रतीक की कहानी ने भारतीय खेलों में एक नया अध्याय जोड़ा है और हमें यकीन है कि आने वाले समय में मनु और भी कई गौरवशाली क्षणों का साक्षात्कार कराएंगी।